एक्सक्लूसिवः भाड़ में जाये सरकारी नौकरी, पंचायत की राह बेरोजगार युवाओं ने पकड़ी
प्रदीप थलवाल
देहरादूनः इन दिनों राजधानी के कोचिंग संस्थानों में परीक्षा की तैयारी के बजाय पंचायत चुनाव का मुद्दा गरमाया हुआ है। हर कोचिंग संस्थान के बाहर बेरोजगार युवा अपनी पंचायत की गुणा-भाग में लगे हुए हैं। कोई प्रधान, तो कोई बी.डी.सी. मेंबर, हां जिसके परिवार का इलाके में ठीक-ठाक रूतबा है वह जिला पंचायत में किस्मत आजमाने की बात कह रहा है। दरअसल पंचायती राज एक्ट में संशोधन होने से युवा सरकारी नौकरी के बजाय गांव लौटकर पंचायत चुनावों की तैयारी में जुटने लगे हैं। गांव में कम पढ़े-लिखे होने और ऊपर से दो बच्चों के प्रावधान से गांव में कोई कैंडिडेट नहीं मिल रहे हैं। लिहाजा बेरोजगार युवक इस मौके को भुनाने से नहीं चूकना चाहते।
युवाओं की राह हुई आसान
पंचायती राज एक्ट में हुए संशोधन से युवाओं को पंचायत में प्रतिभाग करने का आसान मौका मिला है। खास कर ऐसे युवा जो सरकारी नौकरी की तैयारियों में जुटे थे और कई प्रयासों के बाद भी अपने लक्ष्य से दूर होते जा रहे थे। ऐसे में इन युवाओं के पास पंचायत में किस्मत आजमाने का बेहतरीन मौका है। देहरादून में सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहे रघुनाथ कनेरी का कहना है कि वह पिछले कई सालों से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटे थे। लेकिन सरकार द्वारा पंचायतीराज एक्ट में संशोधन करने के बाद उनके पास राजनीति की ओर जाने का विकल्प खुल गया है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम बेरोजगारों और नवयुवकों के लिए कई विकल्प लेकर आया है और अब वो नौकरी की तैयारी के साथ साथ चुनावों की तैयारी कर रहे हैं। अब वो अपने क्षेत्र के लोगों से संपर्क साध रहे हैं।
पंचायत स्तर पर मिलेगा रोजगार
सीमान्त जनपद चमोली के घेस के रहने वाले धन सिंह भंडारी का कहना है कि राज्य सरकार नौकरियों के नाम पर प्रदेश के युवाओं के साथ छलावा कर रही है। मुख्यमंत्री हर रोज अपने भाषणों में रोजगार देने की बात करते हैं लेकिन असल हकीकत में स्थिति कुछ और ही है। जो पद आ भी रहे हैं उनमें कोर्टबाजी और घपले की शिकायत आ रही है। ऐसे में हमारे सामने पंचायत चुनाव में उतरना एक नया विकल्प है। हम पंचायत में नये सृजनात्मक काम कर राज्य सरकार को चुनौती दे सकते हैं। हम पंचायतों में ही रोजगार उपलब्ध कर सकते हैं। ताकि युवाओं को रोजगार के लिए सरकारों का मुंह न ताकना पडे़। भंडारी का कहना है कि घेस में कई सारी संभावनाएं हैं पर्यटन, कृषि और पशुपाल से लेकर घराटों को रोजगार का माध्यम बनाया जा सकता है।
सरकारी बाबू नहीं प्रधान बनेंगे
दूरस्थ ईलाके घाट के भूपेंद्र कण्डारी भी देहरादून में प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। हर रोज दून लाईब्रेरी में वो अपने साथियों के साथ सरकारी नौकरी में सुनहरे भविष्य के सपने संजो रहे थे, लेकिन रातों रात उनके सपने बदल गए हैं। अब वो सरकारी बाबू नहीं बल्कि प्रधान बनना चाहते हैं। अपने गांव वालों से वो सलाह मशवरा भी कर रहे हैं। दो बार गांव जाकर उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत को सशक्त बनाने के लिए रोड़मैप भी लोगों के समक्ष रखा। उनका कहना है कि गांव में कई सारी समस्या है उन्हें दूर करना उनका लक्ष्य है। कंडारी कहते हैं कि नई क्वालीफिकेशन के बाद प्रधान पद पर उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में भगवान ने चाहा तो वह अपने गांव में निर्विरोध प्रधान बन सकते है।
प्रदेश के पंचायतीराज एक्ट में हुए संशोधन के चलते युवाओं का बड़ी संख्या में पंचायत चुनावों के प्रति रुझान बढ़ा है। उन युवाओं के लिए यह स्वर्णिम अवसर हैं जिनका राजनीति के प्रति लगाव था। वहीं कई ऐसे भी युवा है जो सरकारी नौकरी की तैयारी से ऊब चुके थे वे भी अब राजनीति में हाथ आजमाना चाहते हैं। दो बच्चों से अधिक और 10वीं से कम पढ़े-लिखे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, ऐसे में इस बार बड़ी संख्या में युवाओं को अपने लिए सुनहरा मौका दिख रहा है।