EXCLUSIVE: अम्ब्रेला एक्ट का विरोध करवा रहे दून और टिहरी के कुलपति की कुर्सी पर गाज गिरना तय
देहरादून। लम्बी जदोजहद के बाद आखिरकार उच्च शिक्षा विभाग का अम्ब्रेला एक्ट विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। पिछले लंबे समय से अम्ब्रेला एक्ट को लेकर कई तरीके के कायास भी लगाये जा रहे थे। ऐकिन अब सब कुछ साफ हो गया है कि आने वाले कुछ महीनों के भीतर अम्ब्रेला एक्ट के जरिये टिहरी जनपद में स्थापित राज्य विश्वविद्यालय के एक कुलपति और देहरादून के एक राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति को अपने पद से हटाया जा सकता है। उच्च शिक्षामंत्रालय की माने तो अम्ब्रेला एक्ट को लेकर इन दो कुलपतियों की ओर से सरकार व मंत्रालय को बदनाम करने का एक खेल खेला गया है। जिसका पुख्ता सबूत एक काॅलेज संचालक की ओर से प्रस्तुत किया गया है।
बुधवार को उत्तराखंड विधानसभा में अम्ब्रेला एक्ट को ध्वनिमत से पस करते ही यह साफ हो गया था कि बिल का विरोध करवा रहे इन कुलपतियों की अब खेर नही है, लेकिन शाम होते होते उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस बात के संकेत दे दिये है कि अब इन दोनों कुलपतियों पर कार्यवाही कर सरकार यह संकेत देना चाहती है कि भविष्य में भी कोई कुलपति इस प्रकार का एजेंडा न चला सके।
सूत्रों की माने तो इस बिल का विभिन्न प्रभावित होने वाले शिक्षाविदों द्वारा चोरी-छिपे कई उच्चस्तरों से शिकायत कर विरोध किया जा रहा था। नाम न बताने की शर्त पर राज्य विश्वविद्यालय के एक कुलपति द्वारा यह स्वीकार किया गया कि राज्य विश्वविद्यालयों के टिहरी एवं देहरादून के कुलपतियों द्वारा इस बिल का प्रमुखता से समाचार माध्यम एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से भीतर ही भीतर प्रखर विरोध किया जा रहा है एक्ट का विरोध करने के लिए एक संस्थान को बकायता पैसे भी दिये गये है।
ताकि राज्य सरकार उनकी निरंकुश एवं लापरवाह कार्यशैली को देखते हुए उनके पर न कतरे। इनके द्वारा अम्ब्रेला एक्ट के विरोध सम्बन्धी धु्रवीकरण की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा अपने अभिसूचना तन्त्र को इनकी गतिविधियों को देखने हेतु सतर्क कर दिया गया था। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि अभिसूचना तन्त्र के पास अपने स्वार्थो के निमित्त इन सरकार विरोधी कुलपतियों के अम्बे्रला एक्ट के विरोध सम्बन्धी संलिप्तता के पुख्ता प्रमाणित सबूत उपलब्ध हैं। विधेयक लागू होते ही राज्य सरकार की वक्र दृष्टि से राज्य राज्य विश्वविद्यालयों के इन 2 कुलपतियों की कुर्सी पर गाज गिराने का सरकार द्वारा मन बना लिये जाने की सूचना प्राप्त हो रही है।
अम्ब्रेला एक्ट पारित होने से राज्य विवि में कुलपति व कुलसचिव के चयन में आसानी होगी। यह ऐतिहासिक है कि विवि को लेकर एक एक्ट बनाया गया है। आने वाले दिनों में अम्ब्रेला एक्ट का असर दिखने लगेगा। व्यवस्थाओं को दुरस्त करने के लिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अम्ब्रेला एक्ट महत्वपूर्ण कदम है। जहा तक विरोध की बात है तो कुछ लोगों ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये ऐसा किया है।
अम्ब्रेला एक्ट का कुछ लोगों द्वारा तीन दिन पूर्व सुनियोेजित तरीके से प्रचारित किया गया। अम्ब्रेला एक्ट की मांग पिछले लंबे समय से की जा रही थी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह बेहत कदम है। विरोध करने वालों को अपनी कुर्सी की चिन्ता हो रही है।
प्रो. डी राजन, शिक्षाविद