September 23, 2024

एक्सक्लूसिव एमडीडीए की मनमानीः पढ़िये… क्यों बदला लेने पर उतरा एमडीडीए, सूचना आयोग ने माना प्राधिकरण में भ्रष्टाचार

देहरादूनः उत्तराखंड सूचना आयोग ने एक अपील का निस्तारण करते हुए मूसरी-देहरादून विकास प्राधिकरण पर गंभीर टिप्पणी की है। आयोग ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि एमडीडीए में भ्रष्टचार की संस्कृति खूब फल-फूल रही है। प्राधिकरण शहर का विकास करे या न करे लेकिन उसके अधिकारी और कर्मचारी मिलभगत कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। एमडीडीए की कार्यप्रणाली पर आयोग की यह पहली टिप्पणी नहीं बल्कि इससे पूर्व भी एमडीडीए पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं। तमाम गंभीर आरोप लगने के बावजूद प्राधिकरण में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि इसके उल्ट यहां के अधिकारियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं।

क्या है प्रकरण

इस टिन शेड को हटाने पर तुला है MDDA

दअरसल यह प्रकरण जनरल महादेव सिंह रोड़ स्थित एक भवन है। जिसमें टिन शेड के निर्माण को लेकर एमडीडीए को आपत्ति है। एमडीडीए प्रशासन टिन के निर्माण को हटाने पर तुला है। जबकि निर्माण मुख्य सड़क से 25 फुट पीछे है। जिसका नक्शा 1995 में एमडीडीए से पास है। हालंाकि भवन स्वामी ने एमडीडीए के समक्ष शपथ पत्र देकर वन टाइन कम्पाउंडिंग के लिए अनुमति मांगी लेकिन तत्कालीन एमडीडीए उपाध्यक्ष ने इसे सड़क से काफी दूर और अस्थाई बताया। साथ ही उन्होंने नियमों के मुताबिक टिन शेड लगाये जाने के संबंध में कोई कार्यवाही प्राधिकरण स्तर पर नहीं किये जाने की बात भी कही। लेकिन आठ साल बाद एमडीडीए ने अचानक कार्यवाही शुरू कर दी। जबकि टिन शेड के अगल-बगल में पक्के निर्माण हैं। अगर एमडीडीए टिन शेड को हटाता है तो उसे अगल-बगल के पक्के निर्माण भी ध्वस्त करने होंगे। जो कि एमडीडीए कभी कर ही नहीं सकता।

बदले की भावना पर उतरा एमडीडीए

मुख्य मार्ग से 25 फुट दूर है अस्थाई टिन शेड

इस पूरे प्ररकरण के पीछे जो वहज सामने आई है उससे साफ होता है कि एमडीडीए के अधिकारी और कर्मचारी बदले की भावना से ग्रस्त है। एक अस्थाई टिन शेड को हटाने के लिए एमडीडीए ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। एमडीडीए के हुक्मरान जानते है कि वह नियमों के विपरीत कार्यवाही कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी मनमानी पर उतर आये हैं। दरअसल एमडीडीए का टिन शेड हटाने के पीछे की मंशा सिर्फ भवन स्वामी को डराना और परेशान करना है। चूंकि भवन स्वामी पेशे से वकील है और वह लगातार एमडीडीए में व्याप्त भ्रष्टचार को उजागर करने में लगे हैं। एडवोकेट नवराज बहुखंडी का कहना है कि एमडीडीए में भारी भ्रष्टाचार है। अगर एमडीडीए के खिलाफ जांच की जाय तो कई अच्छे-अच्छे अधिकारियों की कारगुजारियां सामने आ जायेगी। फाइलों में हेर-फेर हो रखी है। गलत शपथ पत्र एमडीडीए में दिये गये हैं। जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

एमडीडीए के निशाने पर वकील क्यों?

एडवोकेट नवराज बहुखंडी

एडवोकेट नवराज बहुखंडी का कहना है कि उनके पास एमडीडीए से संबंधित एक मामला आया था। जिसमें उन्होंने पाया कि एमडीडीए में फर्जी शपथ पत्र दिया गया है। कानून के मुताबिक फर्जी शपथ पत्र के खिलाफ एमडीडीए को शपथकर्ता के खिलाफ कार्यवाही करनी थी लेकिन एमडीडीए अधिकारियों ने शपथकर्ता के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय उसे बचाने की कोशिश की। यह मामला एमडीडीए की गले की फांस बन गया। इस मामले की अगर जांच होती है तो एमडीडीए के कई अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। यही वजह है कि एमडीडीए ने बदले की भवना से उनके अस्थाई टिन शेड को निशाना बनाया। जो कि मुख्य रोड़ से काफी दूर है। उन्होंने बताया कि वह इस मामले को हाईकोर्ट भी ले गये हाईकोर्ट ने भी एमडीडीए को इस मामले पर कड़ी फटकार लगाई। इतना ही नहीं इस प्रकरण में एमडीडीए चार महीने से हाईकोर्ट में हलफनामा देने से बच रहा है। वहीं अधिवक्ता बहुखंडी ने बताया कि झूठे शपथ पत्र मामले में एमडीडीए ने दबाव बनाने की पुरजोर कोशिश की। इतना ही नहीं एमडीडीए ने उनके घर का भी चालान काट दिया जबकि उनके घर का नक्शा वर्ष 2001 में प्राधिकरण द्वारा पास है। प्राधिकरण की इस करतूत से साफ होता है कि अगर वह एक वकील पर दबाव बना सकती है तो आम जनता का क्या हाल होगा।

आयोेग की फटकार

सुचना आयोग का निर्णय

इस प्रकरण में एडवोकेट नवराज बहुखंड़ी ने जब आरटीआई के तहत एमडीडीए से जानकारी मांगी तो एमडीडीए ने जानकारी का गोलमोल जबाव दिया। जिसे उन्होंने मुख्य सूचना आयुक्त की कोर्ट में चैलेंज किया। मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने मामले में एमडीडीए को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी ने इस प्रकरण में जो बात कही उसमें सत्यता है। आयोग ने उक्त पूरे प्रकरण में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार कर एमडीडीए उपाध्यक्ष को इस प्रकरण की जांच करने का आदेश दिया।


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