एक्सक्लूसिव ख़बरः सरकार को दरकिनार कर ‘सीमा’ लांघ गई जौनसारी
देहरादून: प्रदेश में शिक्षा विभाग स्कूलों को प्रयोगशाला बनाता जा रहा है। शिक्षा विभाग नए-नए प्रोजेक्ट लाकर स्कूलों पर लादता जा रहा है। कहने को तो विभाग ने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कई कार्यक्रम चला रखे हैं।लेकिन विभाग ने कभी भी उनकी माॅनिट्रिंग सुध नहीं ली। ऐसे में शिक्षा विभाग स्कूलों में एक और कार्यक्रम का संचालन करने जा रहा है। विभाग का मानना है कि दिल्ली की तर्ज पर राज्य के स्कूलों में भी हैप्पीनेस कार्यक्रम चलाया जायेगा। इसके लिए एससीईआरटी की डायरेक्टर खासी उत्सुक है। उनकी उत्सुकता इतनी ज्यादा है कि उन्होंने इस कार्यक्रम को शुरू करने के लिए सरकार से इजाजत तक नही ली। जबकि कायदे से किसी भी कार्यक्रम को लागू करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होती है। लेकिन जौनसारी अपनी इस सीमा को लांघ गई।
प्रदेश में शिक्षा विभाग के नीति-नियंता जमीनी हकीकत से पैदल है। यही कारण है कि एससीईआरटी की डाॅयरेक्ट सीमा जौनसारी एक नए मिशन पर है। वह दिल्ली सरकार की तर्ज पर प्रदेश में हैप्पीनेस कार्यक्रम शुरू करने में जुटी हैं। यह बात दीगर है कि किसी भी कार्यक्रम को शुरू करने से पहले उसके लिए सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होती है। लेकिन यहां तो जौनसारी ने इस सीमा को लांघ कर अपनी मनमर्जी से इसके लिए उन्होंने न तो अपने आला अधिकारियों से परामर्श लिया और न ही सरकार के संज्ञान में इस प्रोजेक्ट लाया गया। इतना ही नही इस कार्यक्रम के लिए जौनसारी की टीम ने भारत सरकार को गुमराह कर दो करोड रूपये भी उक्त कार्यक्रम संचालन के लिए स्वीकृत करा दिये है।
दरसल के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जो पैसा पीएबी में एक्सपेरिमेंटल लर्निंग के नाम पर दिया जाता था, उस पैसे को हैप्पीनेस कार्यक्रम के नाम पर आवंटन करवा दिया गया है। केंद्र में प्रस्ताव भेजा गया उसमें हेराफेरी की गयी और अधिकारियों को बताया गया कि जिस निधि में यह पैसा मिलता था, उसी निधि में खर्च किया जायेगा। जबकि जमीनी स्तर पर दोनों कार्यक्रम विभिन्न है। जिनका एक दूसरे से कोई लेना देना नहीं है। इसके बावजूद भी सीमा जौनसारी की टीम ने प्रदेश के शिक्षामंत्री से लेकर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को गुमराह कर पैसे ठिकाने लगाने का जुगाड कर दिया है। दस्तावेज के हाथ वे दस्तावेज भी लगे है जिसमें आलाधिकारियों ने हेराफेरी कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को गुमराह कर हेप्पीनेस के नाम पर दो करोड रूपये की स्वीकृत करवायी है।
इस कार्यक्रम को पढ़ाने हेतु सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना है। इसके लिए मास्टर ट्रैनर को रिसोर्स पर्सन को तैयार किया जा चुका है। जनपद एवं विकासखण्ड स्तरीय कोर टीम का गठन किया जा रहा है।
प्रयोगशाला बन रहे सरकारी स्कूल, छात्र परेशान, अधिकारी मस्त
पहले से ही प्रशिक्षणों को बोझ हमारी शिक्षा व्यवस्था पर भारी पड़ रहा है। अब एक और प्रशिक्षण थोपने की तैयारी की जा रही है। इस एक्सपीरियेन्सियल लर्निंग कार्यक्रम के तहत प्रधानाचार्यों, डायट फैकल्टी के साथ-साथ प्रत्येक विद्यालय से एक शिक्षक को प्रशिक्षित करने की योजना है। रम्सा और सर्वशिक्षा के तहत पहले से शिक्षकों हेतु प्रशिक्षण के कार्यक्रम तय हैं। जबकि यह कार्यक्रम दिल्ली सरकार का है। दिल्ली सरकार इस लिये उक्त कार्यक्रम का संचालन कर रही है क्योकि वहा पहले से ऐसा किसी कार्यक्रम का संचालन नहीं किया जा रहा है। लेकिन वहां की शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन के लिए इस वर्ष अपै्रल के आखिरी सप्ताह में शिक्षा अधिकारियों की एक भारी भरकम टीम दिल्ली गई थी तथा वहां से इस कार्यक्रम को उठा कर ले आयी।
उत्तराखण्ड में पहले से चल रहे हैं कई कार्यक्रम
गौरतलब को कि विद्यालयी शिक्षा में वर्तमान में दो बड़ी परियोजनाएं चल रही है। इन परियोजनाओं के तहत गुणवत्ता सुधार हेतु कई कार्यक्रम पहले से चलाये जा रहे हैं।
पूर्व से चल रहे कार्यक्रमों पर एक नजर –
प्रार्थना सभा के कार्यक्रम- विद्यालयों प्रतिदिन प्रार्थना सभा का आयोजन होता है जिसमें ईश वंदना, समूह गान, देशगान, राष्ट्रगीत नैतिक शिक्षा, नीति वचन, दैनिक प्रतिज्ञा, समाचार, सामान्य ज्ञान, बाक्स फाईल, योग तथा ब्यायाम, राष्ट्रगान आदि में लगभग आधे घण्टे का समय लग जाता है।
प्रतिभा दिवस- प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को प्रतिभा दिवस मनाया जाता है। इसमें कक्षा 6 से 8 तक के छात्र विषय आधारित शिक्षण के स्थान पर खेल, संगीत, वाद-विवाद, वार्तालाप, कलाकार्य, भ्रमण स्वच्छता, लेखन आदि अपनी रूचि के अनुसार क्रियाकलाप करेंगे। इसके तहत वर्ष में चार बार मातृ सम्मेलन भी आयोजित किया जाने हैं।
डाउट क्लियरिंग डे- (Doubt Clearing day)- यह प्रत्येक शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन 5 दिन पढ़ाए गए संदर्भों पर छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं पर शिक्षकों द्वारा समाधान किया जाएगा।
इंगलिश स्पीकिंग डे- प्रत्येक शनिवार को इंगलिश स्पीकिंग डे मनाया जाएगा। इस दिन विद्यार्थी और शिक्षक अंग्रेजी में वार्तालाप करेंगे।
बाल संसद- 19 जनवरी, 16 फरवरी और 9 मार्च को विद्यालय स्तर पर बाल संसद का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा मिशन कोशिश, जिज्ञासा बाल सखा, इंस्पायर अवार्ड प्रोग्राम, प्रवेशोत्सव, समर कैम्प आदि पहले से चल रहे हैं।
कमी कार्यक्रमों की नहीं है, कार्यक्रमों को सही तरह से चलाये जाने की है जो कि नहीं हो रहा है। कई कार्यक्रम लांच होने के तुरन्त बाद ही दम तोड़ देते हैं। अधिकांश कार्यक्रम सिर्फ उद्घाटन और अखबार की सुर्खियों में आने के लिए चलाए जाते हैं। कार्यक्रमों के प्रभाव जमीन पर नहीं दिखते हैं। नए-नए कार्यक्रमों के कारण विद्यालय का मूल कार्य पठन-पाठन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। आखिर शिक्षक पठन-पाठन के समय से कटौती करके ही तो नए कार्यक्रमों को समय देंगे, लेकिन सवाल इस बात का है कि इस पर ध्यान किसी का नहीं है।
क्या कहते है मंत्री महोदय
मामला संज्ञान में आप के माध्यम से आया है। जिसकी जांच की जायेगी, साथ ही यह भी देखा जायेगा कि अधिकारियों ने किस की अनुमति से कार्यक्रम शुरू करने का मन बनाया है। ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध भी कार्यवाही की जायेगी, जिनकी जिम्मेदारी संबंधित मंत्रालय से परार्मश करने की होती है। आप दस्तावेज उपलब्ध कराये कार्यवाही हम करेंगे।
अरविन्द पांडे, विद्यालयी शिक्षामंत्री उत्तराखंड