September 22, 2024

फेसबुक कंट्रोल पर सियासी बवाल के बीच आईएफएफ ने संसद की स्थायी समिति को लिखी चिट्ठी

फेसबुक को कंट्रोल किए जाने के अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल (डब्लूएसजे) के आर्टिकल पर बवाल जारी है. इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) ने संसद की स्थायी समिति को चिट्ठी लिखकर मामले की जांच कराने की अपील की गई है. डब्लूएसजे ने ‘फेसबुक हेट-स्पीच रूल्स कॉल्स विद इंडियन पॉलिटिक्स’ शीर्षक से आर्टिकल पब्लिश किया है.

डब्लूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार, दो मुख्य आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया कि फेसबुक भारत में सत्तारूढ़ बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषा के मामले में नियम कायदों में ढील बरतता है. दूसरा आरोप है कि चुनाव अखंडता के नियमों का अनुप्रयोग. यह करीब 300 मिलियन उपयोगकर्ताओं और हमारे लोकतंत्र के लिए खतरे की बात है.

आईएफएफ ने कहा कि इन दोनों की विस्तृत जांच की आवश्यकता है. क्वालिटी लैब्स द्वारा 2019 की एक रिपोर्ट में लेखक ने चेतावनी दी थी कि तत्काल हस्तक्षेप के बिना, भारत में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा के ट्रिगर के रूप में इस तरह के घृणास्पद भाषण को हथियार बनाने की संभावना है.

आईएफएफ ने कहा कि फेसबुक के वैश्विक नेतृत्व को बुलाने के अलावा, जो स्थानीय भारतीय टीमों की निगरानी करते हैं, उनकी मानवाधिकार ऑडिट की सिफारिश की गई है. यह फेसबुक द्वारा 8 जुलाई, 2020 को जारी सिविल राइट्स ऑडिट रिपोर्ट के समान है.

आईएफएफ ने कहा कि हमें संगठनात्मक खामियों के लिए पीड़ितों के लिए पुनर्विचार के बारे में बातचीत शुरू करनी चाहिए. यह उपाय और न्याय की स्पष्ट भावना लाएगा और मानवाधिकार ऑडिट द्वारा जांच की जानी चाहिए. हम आईसीजे द्वारा वैश्विक मानक जांच का उल्लेख करते हैं.

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) फेसबुक और वाट्सऐप को नियंत्रित करते हैं. वे इसके जरिये नफरत फैलाते हैं.

बीजेपी ने किया पलटवार

राहुल गांधी के आरोप पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया, ‘जो लूजर स्वयं अपनी पार्टी में भी लोगों को प्रभावित नहीं कर सकते वे इस बात का हवाला देते रहते हैं कि पूरी दुनिया को बीजेपी-आरएसएस नियंत्रित करती है.’

फेसबुक ने दी सफाई

वहीं, फेसबुक ने अपनी सफाई में कहा कि हम हेट स्पीच और ऐसी सामग्री पर बंदिश लगाते हैं जो हिंसा को भड़काता है. हम ये नीति वैश्विक स्तर पर लागू करते हैं. हम किसी की राजनीतिक स्थिति या जिस भी पार्टी से नेता संबंध रख रहा, नहीं देखते हैं.


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