September 22, 2024

भारतीय टेक्नोलॉजी क्षेत्र में सबसे बड़ा एफडीआइ, जियो में 5.7 अरब डॉलर निवेश करेगी फेसबुक

अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी फेसबुक ने जियो प्लेटफार्म्स लि. की दस फीसदी हिस्सेदारी 5.7 अरब डॉलर (43,574 करोड़ रुपये) में खरीदने की घोषणा की है। यह भारतीय टेक्नोलॉजी सेक्टर में सबसे बड़ा एफडीआइ है। 38.8 करोड़ उपभोक्ताओं वाली जियो इन्फोकॉम जियो प्लेटफार्म्स की सब्सिडियरी है।

दोनों कंपनियों को फायदा

इस सौदे से दोनों कंपनियों को फायदा मिलेगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी जियो प्लेटफार्म्स लि. में फेसबुक के निवेश से उसे कर्ज उतारने में मदद मिलेगी और उसके कारोबारी भविष्य के लिए फायदेमंद होगा। जबकि फेसबुक को भारत में कारोबार का विस्तार करने में सहायता मिलेगी। सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक उपभोक्ताओं के लिहाज से अपने सबसे बड़े बाजार में विस्तार करना चाहती है।

जियो प्लेटफार्म्स की 10 फीसदी हिस्सेदारी का सौदा

कंपनी ने एक बयान जारी करके कहा कि हम रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी जियो प्लेटफार्म्स लि. में 5.7 अरब डॉलर का निवेश करेंगे। इससे फेसबुक इस कंपनी की सबसे बड़ा माइनॉरिटी शेयरधारक बन जाएगी। रिलायंस ने बयान जारी करके कहा कि फेसबुक के निवेश से जियो प्लेटफार्म्स की वैल्यू 4.62 लाख करोड़ रुपये (65.95 अरब डॉलर) हो गई। सौदा होने के बाद जियो प्लेटफार्म्स में फेसबुक की हिस्सेदारी 9.99 फीसदी होगी। जियो प्लेटफार्म्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. (आरआइएल) के पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है जबकि 38.8 करोड़ उपभोक्ताओं वाली रिलायंस जियो इन्फोकॉम जियो प्लेटफार्म्स के पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है।

फेसबुक ने कहा कि जियो ने चार साल से कम समय में 38.8 करोड़ लोगों प्लेटफार्म पर लाकर न सिर्फ लोगों को जोड़ा, बल्कि इनोवेटिव नए कारोबारों की शुरूआत का माहौल बनाया।

मुकेश अंबानी ने कहा- गठजोड़ से राह आसान होगी

सौदे पर रिलायंस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा कि जियो और फेसबुक के साथ आने से डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। जियो ने 2016 में लांचिंग के समय डिजिटल सर्वोदय यानी भारत के डिजिटल क्षेत्र में समग्र विकास का लक्ष्य रखा था। अंबानी ने उम्मीद जताई कि कोरोना संकट के बाद भारत मजबूती से आर्थिक रिकवरी करेगा।

रिलायंस ने बयान में फेसबुक और जियो के बीच गठजोड़ कई मायनों में अभूतपूर्व है। यह दुनिया में किसी टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा माइनॉरिटी हिस्सेदारी के लिए सबसे बड़ा निवेश है और भारतीय टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह सबसे बड़ा एफडीआइ है।


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