किसान आंदोलन: इन 5 प्रमुख मांगों पर अड़े हैं किसान
लगातार 5वें दिन दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी है। किसानों ने राजधानी के पांचों एंट्री प्वाइंट्स को सील करने और बुराड़ी जाने से इनकार कर दिया है। हालांकि किसान आंदोलन पर दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हुए।
किसान सिंघु बॉर्डर से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं, जिसके बाद यहां पर पुलिसवालों की तैनाती बढ़ा दी गई है। दरअसल, प्रदर्शनकारी किसान जंतर-मंतर या रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने की इजाजत मांग रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने कोरोना गाइडलाइंस का हवाला देते हुए किसानों को वहां प्रदर्शन करने से मना किया है।
उधर कृषि कानून को सरकार जहां किसानों के हित में बता रही है, वहीं किसान संगठन इसे काला कानून बोल रहे हैं।
किसानों की मांगें क्या?
नया कृषि कानून वापस ले केन्द्र सरकार
MSP खत्म न करने पर लिखित आश्वासन
फूड ग्रेन खरीद सिस्टम खत्म नहीं करने का आश्वासन
देश में एक भाव व्यवस्था लागू हो
फल, सब्जी समेत सभी फसलों का भाव तय हो
सरकार 100 % फसल खरीद की गारंटी ले
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में उत्पादन खरीद की ग्रेडिंग पर रोक
जीएम बीजों के इस्तेमाल की मिले इजाज़त
फसल भंडारण की सीमा तय की जाए
खेती का अवशेष जलाने पर सजा खत्म करे सरकार
पराली जलाने पर गिरफ्तार किए गए किसानों को छोड़ा जाए
किसानों की अहम मांगें
आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और इनकी जगह किसानों के साथ बातचीत कर नए कानून लाने को कह रहे हैं। उन्हें आंशका है कि लाए गए नए कानूनों कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा, लेकिन केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि किसी भी कीमत पर कृषि कानून को न तो वापस लिया जाएगा और न ही उसमें कोई फेरबदल किया जाएगा।
किसानों की 5 प्रमुख मांगें इस तरह हैं:
– तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, क्योंकि ये किसानों के हित में नहीं है और कृषि के निजीकरण को प्रोत्साहन देने वाले हैं। इनसे होर्डर्स और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा।
– एक विधेयक के जरिए किसानों को लिखित में आश्वासन दिया जाए कि एमएसपी और कन्वेंशनल फूड ग्रेन खरीद सिस्टम खत्म नहीं होगा।
– किसान संगठन कृषि कानूनों के अलावा बिजली बिल 2020 को लेकर भी विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार के बिजली कानून 2003 की जगह लाए गए बिजली (संशोधित) बिल 2020 का विरोध किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस बिल के जरिए बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण किया जा रहा है। इस बिल से किसानों को सब्सिडी पर या फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म हो जाएगी।
– चौथी मांग एक प्रावधान को लेकर है, जिसके तहत खेती का अवशेष जलाने पर किसान को 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
– प्रदर्शनकारी यह भी चाहते हैं कि पंजाब में पराली जलाने के चार्ज लगाकर गिरफ्तार किए गए किसानों को छोड़ा जाए।