September 21, 2024

चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष शुरू, जानें नवरात्रि की प्रमुख तिथियां शुभ योग एवं मुहू्र्त

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च दिन बुधवार से शुरू होने जा रही है। इसी के साथ ही पिंगल नामक संवत भी शुरू हो जाएगा। इस साल चैत्र नवरात्रि पर माता का वाहन नाव होगी, जो इस बात का संकेत है इस साल खूब वर्षा होगी। पूरे साल चार नवरात्रि आती है, जिनमें आश्विन और चैत्र मास की नवरात्रि सबसे ज्यादा समाज में प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्रि थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ में चैत्र नवरात्रि से ही होता है।

चैत्र नवरात्रि में अबकी बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी। नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ बार सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा। जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को लगेगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को लगेगा। और नवरत्रि के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा। आइए जानते हैं इन शुभ योगों के बीच चैत्र नवरात्रि की प्रमुख तिथियां, किस दिन किस देवी की पूजा होगी।

चैत्र नवरात्रि 2023 की तिथियां घट स्थापना डेट

  1. चैत्र नवरात्रि पहला व्रत मां शैलपुक्षी कू पूजा, घटस्थापना – 22 मार्च 2023
  2. चैत्र नवरात्रि दूसरा व्रत मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 23 मार्च 2023
  3. चैत्र नवरात्रि तीसरा व्रत मां चंद्रघंटा की पूजा – 24 मार्च 2023
  4. चैत्र नवरात्रि चौथा व्रत मां कूष्मांडा की पूजा – 25 मार्च 2023
  5. चैत्र नवरात्रि पांचवा व्रत मां स्कंदमाता की पूजा – 26 मार्च 2023
  6. चैत्र नवरात्रि छठा व्रत मां कात्यायनी की की पूजा – 27 मार्च 2023
  7. चैत्र नवरात्रि सातवां व्रत मां कालरात्रि की पूजा की की पूजा – 28 मार्च 2023
  8. चैत्र नवरात्रि आठवां व्रत मां महागौरी की पूजा की की पूजा – 29 मार्च 2023
  9. चैत्र नवरात्रि नवमी व्रत मां महागौरी की पूजा की की पूजा – 30 मार्च 2023, राम नवमी तिथि

नवरात्रि व्रत पारण 31 मार्च 2023

इस तरह करें पूजा

चैत्र नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए। नवरात्रि के पहले दिन व्रत का परण लिया जाता है। बहुत से भक्त नवरात्रि पर नौ दिन व्रत रखते हैं। इस दिन कलश में जल भरकर पूजा स्थल पर रखा जाता है। कलश के मुख पर कालावा बांधें और फिर ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखकर नारियल रख दें। इसके बाद धूप व दीप जलाकर मां दुर्गा की आरती व पूजा करें।


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