पांच भारतीय कंपनियां रेमडेसिवीर दवा बनाने को तैयार, नियामक से मंजूरी का इंतजार
कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ने और रेमडेसिवीर दवाई के इस्तेमाल में मंजूरी मिलने के बाद भारतीय कंपनियां दवाई बनाने के लिए अधिकारियों के अनुमति का इंतजार कर रही हैं। उन्हें अब ड्रग कंट्रोलर जनरल से मार्केटिंग की मंजूरी मिलने का इंतजार है।
एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय बाजार में रेमडेसिवीर दवाई की उपलब्धता में थोड़ी देर लग सकती है। रेगुलेटर कंपनी ने दवाई बनाने वाली कंपनियों से कई तरह के आंकड़े मांगे हैं। उन्होंने बताया कि इस दवाई का ट्रायल फास्ट-ट्रैक आधार पर होगा इसलिए एक बार मंजूरी मिलने के बाद एक महीने से भी कम का समय लगेगा।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास पांच भारतीय कंपनियों ने मंजूरी के लिए आवेदन किया है। भारत में रेमडेसिवीर दवा को कोविड-19 के इलाज के दौरान इस्तेमाल करने के लिए मंजूरी दे दी गई है। 127 देशों में रेमडेसिवीर दवा को बनाने और बांटने के लिए इन पांच भारतीय कंपनियों ने जिलीड साइंस के साथ लाइसेंस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं।
हालांकि ड्रग रेगुलेटर ने जिलीड साइंस को भारत में दवा निर्यात करने और बेचने की अनुमति दे दी है। सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन पांच कंपनियों से अध्ययन और टेस्ट लाइसेंस संबंधी दस्तावेज मांगे हैं।
महाराष्ट्र सरकार बांग्लादेश से 10 हजार रेमडैसिवीर दवा की शीशियां खरीद रही है। इस संबंध में अधिकारी ने कहा कि हमने केवल जिलीड साइंस से दवा खरीदने की अनुमति दी है। अगर इसके अलावा कहीं ओर से दवाई आ रही हैं तो वो गैरकानूनी है। जबकि स्थानीय कंपनियों का कहना है कि दवा बनाने के लिए उनके पास कच्चे माल से लेकर भंडार करने योग्य जगह सब है, लेकिन रेगुलेटर से दवा बनाने की मंजूरी नहीं है।