September 22, 2024

साल के आखिरी सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में आई 58.7 करोड़ डॉलर की गिरावट

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 24 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 58.7 करोड़ डॉलर घटकर 635.08 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले 17 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 16 करोड़ डॉलर घटकर 635.667 अरब डॉलर रह गया था. जबकि तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह मुद्रा भंडार 642.453 के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था.

आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 24 दिसंबर को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों (FCA) में कमी आना है, जो कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान FCA 84.7 करोड़ डॉलर घटकर 571.369 अरब डॉलर रह गया.

डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट -बढ़ को भी शामिल किया जाता है. इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 20.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 39.39 अरब डॉलर हो गया.

SDR में 2.4 करोड़ डॉलर की गिरावट

आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 2.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 19.114 अरब डॉलर हो गया. अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार 2.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.207 अरब डॉलर हो गया.

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जैसा कि हम जानते हैं भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. जब भी हम विदेशी से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजैक्शन डॉलर में होते हैं. ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है. अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.


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