वन दरोगा भर्तीः खेत खाये गदहा मार खाये जुलाहा!
देहरादून। ‘खेत खाये गदहा और मार खाये जुलाहा’ यानि गलती किसी और की और सजा किसी और को। उत्तराखण्ड में वन दरोगा भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों के साथ ये कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है। वन दरोगा भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को किसी और के किये की सजा भुगतनी पड़ रही है।
उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के एक फैसले ने इनके अरमानों में पानी फेर दिया है। दरअसल यूकेएसएससी की सरपरस्ती में आयोजित दूसरी और परीक्षाओं की तरह इस दरोगा भर्ती पर भी भर्ती में घोटाले के आरोप लगे है। एसटीएफ की पड़ताल में इस भर्ती में नकल होने की बात निकली। लिहाजा भर्ती को निरस्त कर दिया गया है और दोबारा से भर्ती का फैसला लिया गया है।
धरना प्रदर्शन जारी
वन दरोगा भर्ती-2019 के चयनित अभ्यर्थियों ने भर्ती परीक्षा निरस्त किए जाने पर सोमवार को गांधी पार्क के बाहर यूकेएसएसएससी के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। नारेबाजी करते समय कई युवाओं के आंखों से आंसू छलके। उन्होंने चेताया कि सरकार ने यदि उनके हित में जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो वे दून से दिल्ली तक आवाज बुलंद करेंगे।
सेग्रीगेशन की मांग
इन युवाओं का कहना है कि दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2020 और यूपीएसआई परीक्षा-2021 में अभ्यर्थियों का सेग्रीग्रेशन हुआ था। उत्तराखण्ड में भी यचनित 620 में से 122 संदिग्ध अभ्यर्थियों को सेग्रीगेट क्यों नहीं किया जा सकता? चयनित अभ्यर्थियों के मुताबिक पूर्व अध्यक्ष एस०राजू का कहना था कि ऑनलाइन परीक्षा में आसानी से सेग्रीगेशन हो सकता है। लेकिन हाल ही में आयोग के अध्यक्ष बने जीएस मर्ताेलिया का कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा में सेग्रीगेशन संभव नहीं है। चयनित अभ्यर्थियों ने गुमराह करने का आरोप लगाया।