लोकपर्व हरेला ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मनाएंगे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र
देहरादून। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कुमाऊं भ्रमण के बाद 15 से 20 जुलाई तक 06 दिवसीय गढ़वाल भ्रमण पर रहेंगे। इस दौरे में पूर्व सीएम पौड़ी, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, चमोली व टिहरी के कई कार्यक्रम में भाग लेंगे जिसमें वृक्षारोपण, पार्टी कार्यकर्ताओं से भेंट वार्ता, लोकार्पण कार्यक्रम, रक्तदान शिविर, प्रतिष्ठित लोगों से मुलाकात, प्रसिद्ध मठ मंदिरों के दर्शन इत्यादि करेंगे।
इस दौरे की विशेष बात यह है कि इस बार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र लोकपर्व हरेला को ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मनाएंगे जहां पर वह स्थानीय कार्यकर्ताओं, लोगों के साथ वृक्षारोपण करेंगे। जिस प्रकार से कुमाऊं भ्रमण में त्रिवेंद्र सिंह रावत को भरपूर प्यार मिला, कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया उसको देखते हुए गढ़वाल भ्रमण को लेकर भी इसी प्रकार की उम्मीद जताई जा रही है।
पूर्व सीएम ने कहा है कि गढ़वाल भ्रमण का उनका उद्देश्य हरेला पर्व को ऐतिहासिक बनाने का है क्योंकि इस बार का हरेला पर्व वह ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मनाने जा रहे हैं। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा तथा स्थानीय लोगों में वृक्षारोपण को लेकर एक अलख भी जगेगी।
उन्होंने कहा है कि हमारा लक्ष्य इस बार का एक लाख पीपल,बरगद, गूलर इत्यादि के वृक्ष लगाने का है जिसमें हमें पूरे प्रदेश से लोगों का भरपूर सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत हमने पिछले माह विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून से कर दी है और अब तक कई वृक्ष लग भी चुके हैं।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र पर्यावरण प्रेमी की भूमिका निभा रहे हैं। बीते वर्षों में भी उनके नेतृत्व में प्रदेश में कई लाख पौधे लगाए गए हैं। कहीं ना कहीं पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन की दिशा में यह उनके द्वारा किया गया बहुत ही बेहतरीन प्रयास है, जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगे।
उनके द्वारा निरंतर वृक्षारोपण की मुहिम को आगे बढ़ाया जा रहा है। आज वृक्षारोपण को लेकर जनता काफी जागरूक हो चुकी है। कुमाऊं भ्रमण में भी उन्होंने जगह-जगह पर वृक्षारोपण किया। खास तौर पर कोसी का उद्गम स्थल काटली में भी उन्होंने प्रतीकात्मक वृक्षारोपण किया जिसमें स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी से आह्वान किया है कि ‘हरेला महोत्सव अभियान’ में आगे आएं, यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि ‘एक व्यक्ति-एक वृक्ष’ अवश्य लगाएं और पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन की दिशा में अपनी भागीदारी निभाएँ।