GDP के गलत आंकड़ों के दावे पर पूर्व CEA कायम, बोले-नहीं मिला ठोस जवाब
देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम ने एक बार फिर सरकार की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि जीडीपी आंकड़ों को लेकर सरकार के तर्क ठोस नहीं हैं.
दरअसल, हाल ही में पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमण्यम ने अपने एक शोध पत्र में दावा किया था कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रही है. इस शोधपत्र में अरविंद सुब्रमण्यम ने दावा किया था कि साल 2011-2016 के दौरान आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 2.5 फीसदी अंक तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया. ये वो दौर था जब भारतीय अर्थव्यवस्था, निर्यात में गिरावट, कंपनी-बैंक खातों से जुड़ी दोहरी समस्या, सूखा और नोटबंदी जैसी कई समस्याओं को झेल रही थी.
अरविंद सुब्रमण्यम के मुताबिक उद्योग को वास्तविक कर्ज और वास्तविक निवेश के आधिकारिक आंकड़ों में बड़ी गिरावट आई है. लेकिन 2015 में शुरू की गई नई जीडीपी श्रृंखला से पता चलता है कि इन झटकों के बावजूद जीडीपी में बहुत कमी नहीं आयी और यह 7.7 फीसदी से घटकर 6.9 फीसदी पर आ गई. यह सवाल खड़ा करता है? क्या यह संभव है कि इन पांच बड़े प्रतिकूल झटकों का जीडीपी वृद्धि पर इतना कम असर पड़ा होगा.
सरकार ने ठोस जवाब नहीं दिया
सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘जनवरी 2015 में सीएसओ (केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय) ने नये आधार वर्ष (2004-05 के स्थान पर 2011-12), नया अंकड़ा और नये तरीकों को लेकर अनुमान जारी किया. मेरी टीम और मैंने इन अनुमानों का सावधानीपूर्वक गौर किया और तुंरत नये आंकड़े को लेकर सवाल उठाये लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिला. इसीलिए हमने आतंरिक रूप से अपने संदेह जताना शुरू किया और उसके बाद सार्वजनिक तौर पर उसे उठाया.’’
सुब्रमण्यम ने सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया जिसके आधार पर पूर्व सीईए के दावों को ठुकरा दिया गया था. उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने जीएसटी और ऋण शोधन अक्षमता और दिवाला कानून जैसे सुधार लाए लेकिन इससे मध्यम अवधि में वृद्धि का लाभ मिलेगा. सुब्रमण्यम ने उत्पादकता में वृद्धि की दलील को भी खारिज करते हुए कहा कि अगर ऐसा होता तो अधिक लाभ के रूप में कंपनियों का मुनाफा बढ़ा हुआ दिखता. उन्होंने सरकार की खपत में वृद्धि की दलील भी ठुकरा दी.