September 22, 2024

गोला गोकर्णनाथ उपचुनाव: आखिर एक सीट क्यों बन गई है बीजेपी और सपा के लिए बड़ी लड़ाई?

उत्तर प्रदेश के लखीमपुरखीरी जिले की गोला गोकर्णनाथ सीट के उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान होगा. यूपी की राजनीति में इस सीट का रिजल्ट काफी मायने रखता है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी की सीधी टक्कर है क्योंकि बीएसपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं.

इस साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के अरविंद गिरि को चुना गया था. लेकिन हृदयगति रुक जाने से उनका बीते महीने निधन हो गया था. बीजेपी ने उनके बेटे अमन गिरि को यहां से टिकट दिया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक विनय तिवारी को मैदान में उतारा गया है.

हालांकि चुनाव सिर्फ एक सीट पर है बीजेपी ने यहां भी योगी सरकार के हाईप्रोफाइल मंत्रियों को प्रचार में उतार रखा है.  कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार, बलदेव सिंह ओलाख लगातार यहां पर रैलियां और घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं.

इसके साथ ही योगी सरकार में दो मंत्री सुरेश राही और सतीश शर्मा भी जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं. इससे पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी प्रचार करने जा चुके हैं. केंद्र में मंत्री कौशल किशोर को भी पार्टी प्रत्याशी के लिए वोट मांगने भेजा चुका है.

खबर है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी गोला गोकर्णनाथ पहुंचने वाले हैं. 1 नवंबर को सीएम योगी आदित्यानाथ की भी मेगा रैली है. लेकिन लखीमपुर खीरी से ही सांसद और केंद्र में मंत्री अजय मंत्री को इस चुनाव अभियान से दूर रखा गया है.

वहीं समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि अखिलेश यादव के आते ही पार्टी के पक्ष में माहौल बनने में देर नहीं लगेगी. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव पहली बार किसी चुनाव अभियान में हिस्सा लेंगे. हालांकि सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम सहित पार्टी के कई नेता विनय तिवारी के पक्ष में प्रचार करने आ चुके हैं.

क्या है बड़ा मुद्दा

लखीमपुर खीरी का बड़ा हिस्सा इस साल हुई बारिश में बाढ़ से जूझता रहा है. जिसमें यह विधानसभा क्षेत्र भी आता है. इस चुनाव में सरकार की ओर से बाढ़ के दौरान किए राहत और बचाव के कामों को भी कसौटी पर कसा जाएगा. हालांकि स्थानीय सपा नेताओं का दावा है कि बीजेपी सरकार लोगों को मदद पहुंचाने में फेल रही है.

अमन गिरी को पक्ष में सहानुभूति

बीजेपी के रणनीतिकारों को मानना है कि अरविंद गिरि इस सीट से पांच बार विधायक चुने गए थे. यहां के लोग उनके काम से खुश हैं. गिरि के परिवार की छवि भी ठीक है. ऐसे में अमन गिरि को यहां पर सहानुभूति का फायदा मिल सकता है. लॉ से ग्रेजुएट अमन गिरि हालांकि अपने पिता के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा लेते थे लेकिन कभी सीधे तौर पार्टी से नहीं जुड़े थे.

अरविंद गिरि का राजनीतिक करियर

अमन गिरि के पिता अरविंद गिरि साल 2022 और साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक चुने जा चुके हैं. इसके पहले वह साल 1996, 2002 और 2007 में सपा से विधायक चुने गए थे. उस समय गोला गोकर्णनाथ सीट का नाम हैदराबाद था. साल 2012 में अरविंद गिरि कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गए. इसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए.

विनय तिवारी का राजनीतिक करियर

समाजावादी पार्टी के प्रत्याशी विनय तिवारी इस सीट से 2012 में विधायक चुने गए थे. लेकिन साल 2017 और  2022 में वह चुनाव हार गए. दोनों ही चुनाव में उनको अरविंद गिरि ने हराया था.

क्या यहां का जातीय समीकरण

वैसे तो इस सीट पर सभी जातियों का वोट है. लेकिन ओबीसी में आने वाले कुर्मी और मुसलमानों का वोट सबसे ज्यादा है. आमतौर पर यूपी में कुर्मी बीजेपी के साथ है और मुसलमान समाजवादी पार्टी को वोट देता है. इस चुनाव में कोई और पार्टी न खड़ी होने की वजह से मुसलमानों का एकमुश्त सपा के खाते में जाने की उम्मीद है. वहीं बीजेपी के सामने इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है.

क्या है पिछले चुनावों का प्रतिशत

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां पर 48.67 प्रतिशत वोट मिले थे. सपा को  37.40%, बीएसपी को 10.37% और कांग्रेस को 1.35% वोट मिले थे. यहां पर कुल वोटरों की संख्या 3.96 लाख है. अब बीते चुनाव को देखते हुए अगर बात करें तो समाजवादी पार्टी को बीएसपी और कांग्रेस के वोटरों को इतना समर्थन मिले की बीजेपी से वोटों के अंतर को पाट पाए तो उसको जीत मिल सकती है.

विपक्ष को मिल सकती है ऊर्जा

यूपी में विधानसभा चुनाव के बाद से विपक्ष एकदम लस्त-पस्त वाली हालत में है. रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी थी. लेकिन अगर इस चुनाव में सपा को जीत मिलती है तो ये एक तरह से उसको नई एनर्जी मिलने जैसा होगा.

बीजेपी को पता है इस चुनाव की अहमियत

यूपी में बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इस चुनाव में हार का मतलब सपा को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलने जैसा है. इसके साथ ही उसकी लोकसभा चुनाव को लेकर की जा रही तैयारियों और रणनीति पर भी बड़ा झटका लग सकता है. यही वजह है बीजेपी की ओर से राज्य की फौज उतार दी गई है. मतदान के नतीजे 6 नवंबर को आएंगे.


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