September 22, 2024

रेल यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी, अब ट्रेनों में फिर से मिलेंगे तकिया, कंबल और बेडशीट

रेल यात्रियों की सुविधाओं को देखते हुए भारतीय रेल दिन-रात काम कर रही है. एसी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने की दिशा में रेलवे ने एक बड़ा फैसला लिया है. देश में कोरोना वायरस की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए भारतीय रेल ने एसी ट्रेनों में एक बार फिर से तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधाएं शुरू करने का फैसला किया है. रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों में इस सुविधा को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. बोर्ड से निर्देश मिलते ही उत्तर पश्चिम रेलवे ने ट्रेनों में तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधाएं दोबारा मुहैया कराने के लिए जरूरी प्रक्रियाएं शुरू भी कर दी हैं. बता दें कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए भारतीय रेल ने अपनी सभी एसी ट्रेनों में तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधाएं देना बंद कर दिया था.

कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से बंद हुई थी सुविधाएं

उत्तर पश्चिम रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण को फैलने और इससे बचाव के लिए देशभर में चलने वाली तमाम एसी ट्रेनों में तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधा बंद कर दी गई थी. अब कोरोना के घटते प्रभाव को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया है कि ट्रेनों में में यह सुविधा एक बार फिर से शुरू की जाएगी. रेलवे बोर्ड से निर्देश प्राप्त होते ही उत्तर पश्चिम रेलवे प्रशासन द्वारा मुख्यालय एवं मण्डल स्तर पर सुविधा प्रदान करने के लिए जरूरी कार्यवाही शुरू कर दी गई है. लिहाजा, एसी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को अब जल्द ही तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधा मिलने लग जाएगी.

300 रुपये में मिल रहा था डिस्पोजल बेडरोल किट

बताते चलें कि कोरोना के दौरान ट्रेनों में तकिया, चादर, तौलिया, कम्बल और पर्दों की सुविधा बंद होने की वजह से यात्रियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद यात्रियों के लिए डिस्पोजल बेडरोल किट सेवाएं शुरू की गई थी. रेलवे द्वारा शुरू की गई इस सेवा के लिए यात्रियों को अलग से पैसे देने पड़ रहे थे. डिस्पोजल बेडरोल किट के लिए यात्रियों से 300 रुपये लिए जा रहे थे, जिसमें बेड शीट, तकिया, कंबल आदि दिए जा रहे थे और अगर किसी यात्री को सिर्फ कंबल की ही जरूरत थी तो वे 150 रुपये में डिस्पोजल कंबल ले सकते थे.


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