आइए आपको बताते हैं कौन थे वैज्ञानिक डॉ हरगोविंद खुराना
नई दिल्ली। मंगलवार को नोबल पुरस्कार प्राप्त भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ हरगोविंद खुराना का जन्मदिन है। इस मौके पर गूगल ने डूडल बना कर हरगोविंद को श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ हरगोविंद ने डीएनए यानी जीन इंजीनियरिंग की बुनियाद रखने में भूमिका निभाई थी। आइए आपको बताते हैं कौन थे वैज्ञानिक डॉ हरगोविंद खुराना।
डॉ. हरगोविंद खुराना का जन्म अविभाजित भारत के रायपुर में 9 जनवरी साल 1922 में हुआ। उनके पिता एक पटवारी थे। अपने माता-पिता के चार पुत्रों में हरगोविंद सबसे छोटे थे। डॉ. हरगोविंद खुराना ने पंजाब विश्वविद्यालय से साल 1943 में बी.एस-सी. (आनर्स) और साल 1945 में एम.एस.सी. (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की। भारत सरकार की छात्रवृत्ति से वो उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड में उन्होंने लिवरपूल विश्वविद्यालय डाक्टरैट की उपाधि प्राप्त की।
डॉ. खुराना वर्ष 1952 में स्विटजरलैण्ड के एक संसद सदस्य की पुत्री से विवाह किया। डॉक्टर खुराना को अपनी पत्नी से पूर्ण सहयोग मिला। उनकी पत्नी भी एक वैज्ञानिक थीं और अपने पति के मनोभावों को समझती थीं। 1960 में डॉ. हरगोविंद ने संयुक्त राज्य अमेरिका के विस्कान्सिन विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑव एन्जाइम रिसर्च में प्रोफेसर का पद पर कार्य और इसी संस्था के निदेशक रहे। यहां उन्होंने अमेरिकी नागरिकता स्वीकार कर ली।
डॉ हरगोविंद ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर डी.एन.ए. अणु की संरचना को स्पष्ट किया था और यह भी बताया था कि डी.एन.ए. प्रोटीन्स का संश्लेषण किस प्रकार करता है। जीन्स का निर्माण कई प्रकार के अम्लों से होता है। खोज के दौरान यह पाया गया कि जिन्स डी.एन.ए. और आर.एन.ए. के संयोग से बनते हैं। अतः इन्हें जीवन की मूल इकाई माना जाता है। इन अम्लों में आनुवंशिकता का मूल रहस्य छिपा हुआ है।
उनके द्वारा किए गए कृत्रिम जींस के अनुसंधान से यह पता चला कि जींस मनुष्य की शारीरिक रचना, रंग-रूप और गुण स्वभाव से जुड़े हुए हैं। जिन्स पर यह बात निर्भर करती है कि किस मनुष्य का स्वभाव कैसा है और उसका रंग-रूप कैसा है। माता-पिता को संतान की प्राप्ति उनके जींस के संयोग से ही होती है। इसलिए बच्चों में माता-पिता के गुणों का होना स्वाभाविक है। मनुष्य को लंबे समय तक स्वस्थ रखने की विधियों को खोजने में जींस सहयोगी हो सकता है। इन सभी दृष्टि से मानव जीवन में जींस का विशेष महत्त्व है। डॉ हरगोविंद को और उनके दोनों अमेरिकी साथियों को डॉ. राबर्ट होले और डॉ. मार्शल निरेनबर्ग को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 09 नवम्बर 2011 को इस महान वैज्ञानिक ने अमेरिका के मैसाचूसिट्स में अन्तिम सांस ली।
डॉ हरगोविंद खुराना की उपलब्धियां
1968 में चिकित्सा विज्ञानं का नोबेल पुरस्कार मिला।
1958 में उन्हें कनाडा का मर्क मैडल प्रदान किया गया।
1960 में कैनेडियन पब्लिक सर्विस ने उन्हें स्वर्ण पदक दिया गया।
1967 में डैनी हैनमैन पुरस्कार मिला।
1968 में लॉस्कर फेडरेशन पुरस्कार और लूसिया ग्रास हारी विट्ज पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
1969 में भारत सरकार ने डॉ. खुराना को पद्म भूषण से अलंकृत किया।
पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ ने डी.एस-सी. की मानद उपाधि दी।