सरकार! सुमित की आत्महत्या कुछ कह रही है
आज पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड एकेश्वर के ग्राम-नौगांव कमंदा श्री ताजबर सिंह जी के घर शोक प्रकट करने गए। उनके पुत्र सुमित कुमार ने 2 दिन पूर्व अग्निवीर भर्ती में असफल रहने पर आत्महत्या कर ली थी।
सुमित योग्य युवा थे पुलिस की भर्ती में भी शारारिक परीक्षा में उनके 96 अंक थे इतने अंक उनके भर्ती होने की अधिकतम संभावना बनाते थे। प्रश्न खड़ा था कि पुलिस जॉब विकल्प होने के बाबजूद भी सुमित ने आत्महत्या का कदम क्यों उठाया?
उसकी माता जी रोते हुए भर्ती और फौज ही रट रही थी। उनके पिता ने बताया कि फौज ही उसका जुनून था। जी जैसे हर गढ़वाली बच्चे का होता है। एक शानदार जीवन पद्धति को देने वाली देश सेवा की नौकरी में न जाने का दुख अमित नही झेल पाया और मृत्यु का वरण कर लिया।
मुझे बताया कि पुलिस में 65 से अधिक अंक के युवाओं को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया है जो काफी संख्या होती है।
इसके उल्टे अग्निवीर योजना का प्रचार ऐसे किया गया जैसे हर बच्चे को 4 साल के लिए नौकरी मिल जाएगी पर कोटद्वार में शारीरिक परीक्षा में सफलता का प्रतिशत 3 से 5 ही आएगा। फिर मेडिकल और लिखित के बाद कितने बच्चे फौज में जा पाएंगे ये भविष्य ही बताएगा।
हमने वहां बच्चों का गुस्सा, उनकी हताशा और निराशा भी महसूस की।
लेकिन पूरे भारत में सेना के तीनों अंगों के लिए जो संख्या बताई गई है उस हिसाब से यह बहुत कम होगी।
सरकार को चाहिए कि इस भर्ती के तुरंत बाद एक और बड़ी भर्ती शुरु कराये ताकि कोई युवा सुमित जैसे कदम न उठाये।
सरकार जल्दी कुछ निर्णय ले वरना इन युवाओं का गुस्सा नहीं थाम पाएगी।
(पूर्व विधायक मनोज रावत के फेसबुक से साभार)