September 21, 2024

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022: ना मोरबी ना रेवड़ी, बीजेपी की आंधी के आगे फेल हुए ये तीन फैक्टर

गुजरात विधानसभा पर कौन काबिज होगा इसका जवाब करीब-करीब साफ हो गया है. एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है. लेकिन बीजेपी इस बार सिर्फ जीत नहीं रही है बल्कि बीजेपी की ऐतिहासिक जीत होने जा रही है. रुझान अगर नतीजों में बदले तो बीजेपी एक बड़े रिकॉर्ड की ओर बढ़ रही है. गुजरात में बीजेपी की आंधी के आगे चुनाव के तीन बड़े फैक्टर भी पूरी तरह पस्त होते नजर आ रहे हैं. प्रदेश में आ रहे रुझान इस बात का इशारा कर रहे हैं ना मोरबी और ना ही रेवड़ी बीजेपी की आंधी के आगे जनता ने हर फैक्टर को फैल कर दिया. आइए जानते हैं वो कौन से फैक्टर जिनको जनता ने सिरे से नकार दिया है.

1. मोरबी में बीजेपी को बढ़त

गुजरात चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में एक बड़ा हादसा हुआ. इस हादसे पर पूरे देश की नजर थी. ये हादसा था मोरबी पुल हादसा. इस दर्दनाक हादसे में 150 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. माना जा रहा था कि, इस हादसे को विपक्ष बड़ा मुद्दा बनाएगा और हो सकता बीजेपी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़े. इतना ही नहीं गुजरात चुनाव की तारीखों के ऐलान में देरी की वजह भी इसी हादसे को बताया जा रहा था.

यही वजह है कि इस सीट पर हर किसी की नजर थी. लेकिन रुझानों में यहां से बीजेपी के प्रत्याशी को बड़ी जीत मिलती नजर आ रही है. उन्होंने 27 हजार से ज्यादा वोटों से बढ़त बना रखी है. ये प्रत्याशी है कांतिलाल अमृतिया. ऐसे में उनकी बड़ी जीत ये बता रही है कि, मोरबी हादसा बीजेपी को किसी भी तरह की नुकसान नहीं दे पाया और ये फैक्टर चुनाव में फैल हो गया.

2. रेवड़ी कल्चर का असर नहीं

गुजरात चुनाव में दूसरा बड़ा फैक्टर जिसे जनता ने सिरे से नकार दिया वो रहा रेवड़ी कल्चर. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी की आमद के साथ ही ये कयास लगने शुरू हो गए थे, मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य का फॉर्मूला जो आप ने दिल्ली और पंजाब में कामयाब किया वो गुजरात में भी रंग ला सकता है. लेकिन ऐसा हो ना सका और बीजेपी को लेकर जनता का भरोसा पहले ही तरह की कायम रहा. पीएम मोदी के भाषणों ने जनता पर फिर जादू चलाया और हर मुद्दे को उन्होंने बखूबी भुनाया. खास तौर पर पीएम मोदी ने जो नारा दिया ‘आ गुजरात मैं बनावु छे’ (ये गुजरात मैंने बनाया है), ये काफी चर्चित रहा. लोग इससे खुद को कनेक्ट करते नजर आए.

3. एंटी इनकमबेंसी भी फेल

प्रदेश के चुनाव के दौरान जब रजानीतिक दल प्रचार में उतरे तो ये दावा किया जा रहा था कि, इस बार गुजरात में सत्ता विरोधी लहर है और बीजेपी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. लेकिन रुझान और नतीजे इसके उलट ही नजर आए. यानी जनता को भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है. तभी तो पिछले चुनाव में जहां बीजेपी 99 सीटों पर सिमट गई थी, वहीं इस बार पार्टी 150 प्लस सीटों पर आगे दिख रही है. यानी ये तीसरा फैक्टर भी जनता ने बीजेपी की आंधी के आगे फेल कर दिया.


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