हल्द्वानी हिंसाः साजिश या प्रशासन की विफलता?

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हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने अभी तक 18 नामजद समेत पांच हजार उपद्रवियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। जानकारी के अनुसार गुरुवार को हल्द्वानी में हुई उपद्रव की घटना में कुल 05 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा बेस चिकित्सालय में 07, कृष्णा चिकित्सालय में 03, सुशीला तिवारी चिकित्सालय में 03 तथा बृजलाल चिकित्सालय में 01 घायल का उपचार चल रहा है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हल्द्वानी पहुंचकर प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और उपद्रव की घटना की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने घटना में घायल महिला पुलिस दल समेत अन्य पुलिसकर्मियों, प्रशासन, नगर निगमकर्मी और पत्रकार का भी हाल चाल जाना। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने क़ानून तोड़ा है और इस घटना में शामिल सभी उपद्रवियों की पहचान कर उन पर कानून के मुताबिक कार्रवाई जारी है। प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं।

ये है पूरा मामला

मलिक का बगीचा वनभूलपुरा क्षेत्र में है जिसे पहले भी तोड़ने का प्रयास किया गया था। फिलहाल वनभूलपुरा को ध्वस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। दरअसल यह पूरी बस्ती रेलवे लाइन के साथ बसी हुई है। रेलवे का दावा है कि जिस जमीन पर यह बस्ती बसी हुई है, वह रेलवे की है। रेलवे के कहने पर पिछले वर्ष बस्ती को तोड़ने की तैयारी की गई थी। बस्ती के लोग कई दिनों तक धरना देते रहे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश पर प्रस्तावित तोड़फोड़ रोकी गई।
जिस जमीन को लेकर उपद्रव हुआ वह अब्दुल मलिक नामक व्यक्ति की है और इसे मलिक का बगीचा कहा जाता है। इस जमीन पर एक मस्जिद और साथ में मदरसा बना हुआ है। जमीन 1937 में लीज पर मलिक परिवार को मिली थी। 1969 और 1997 में लीज रिन्यू भी हुई। लेकिन, इसके बाद लीज रिन्यू नहीं हो पाई। इस बीच हल्द्वानी नगर निगम ने इस जमीन को खाली करने की योजना बनाई तो अब्दुल मलिक हाई कोर्ट चले गये। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की। हालांकि हाईकोर्ट ने स्टे नहीं दिया, लेकिन अगली सुनवाई 14 फरवरी को तय की थी।

8 फरवरी की शाम को भारी पुलिस बल के साथ प्रशासन और नगर निगम का दस्ता जेसीबी मशीने लेकर मलिक के बगीचे में बनी मस्जिद और मदरसे को तोड़ने पहुंचा। कहा जा रहा है कि इस दौरान स्थानीय लोगों ने प्रशासन के दस्ते पर पथराव शुरू कर दिया। देर शाम पुलिस ने पथराव कर रहे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी।

हल्द्वानी की यह घटना कई सवाल छोड़ गई है। पहला सवाल यह कि जब इस जमीन का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है तो अचानक प्रशासन तोड़फोड़ करने क्यों पहुंचा। दूसरा सवाल यह कि तोड़फोड़ के लिए शाम 4 बजे का वक्त क्यों चुना गया? आमतौर पर इस तरह की कार्रवाई सुबह ही होती है। तोड़फोड़ से पहले क्या प्रशासन के पास खुफिया विभाग से कोई इनपुट आया था कि पथराव जैसी कोई घटना हो सकती है? यदि ऐसा कोई इनपुट नहीं था तो इसे क्यों नहीं इंटेलीजेंस का फेल्योर माना जाए? और यदि इनपुट थे तो फिर गोली चलाने की नौबत क्यों आई?