कोरिया में शिक्षा सम्मेलन: शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने पेश किया पंजाब मॉडल, सिख संस्कृति का किया गौरवगान
यूनस्को कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हरजोत बैंस ने बताया पंजाब में शिक्षा के क्रांतिकारी बदलावों का मॉडल, श्री आनंदपुर साहिब के ऐतिहासिक महत्व को किया उजागर
चंडीगढ़: यूनस्को द्वारा कोरिया में आयोजित “शिक्षा के भविष्य” संबंधी कार्यक्रम में पंजाब के युवा शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने पंजाब में शिक्षा क्षेत्र में किए गए क्रांतिकारी सुधारों और ऐतिहासिक सिख विरासत को विश्व मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
हरजोत बैंस ने श्री आनंदपुर साहिब के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए, वहां की विरासत और गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिए गए भाईचारे के संदेश को साझा किया। उन्होंने सिख प्रतीक दस्तार के महत्व को बताते हुए कहा कि यह केवल एक सांस्कृतिक पहचान नहीं, बल्कि सच्चाई और न्याय की रक्षा का प्रतीक है।
पंजाब का शिक्षा मॉडल बना चर्चा का विषय
शिक्षा मंत्री ने बताया कि पंजाब में सरकारी स्कूलों में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं।
- सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब मुफ्त किताबें, वर्दी, स्विमिंग पूल, शूटिंग रेंज और विश्वस्तरीय एस्ट्रोटर्फ मैदान जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।
- स्कूलों के प्रिंसिपल को सिंगापुर में, हेडमास्टर्स को IIM में और प्राइमरी शिक्षकों को फिनलैंड में प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।
- पंजाब के सरकारी स्कूलों के छात्र अब चंद्रयान-3 जैसी अंतरिक्ष परियोजनाओं का साक्षी बन रहे हैं।
हरजोत बैंस ने दुनिया के प्रतिनिधियों को बताया कि पंजाब का लखेर गांव जल्द ही दुनिया का सबसे बेहतरीन प्राइमरी स्कूल देखने वाला है। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब के छात्र वैश्विक प्रतियोगिताओं में शिक्षा और खेल के क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं।
श्री आनंदपुर साहिब का ऐतिहासिक महत्व हुआ उजागर
हरजोत बैंस ने श्री आनंदपुर साहिब को “खालसा की जन्मभूमि” के रूप में प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे गुरु गोबिंद सिंह जी ने वहां से भाईचारे और समानता का संदेश दिया। यह पंजाब सरकार के शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का ही नतीजा है कि दुनिया भर में इसके मॉडल की सराहना हो रही है।