हरियाणा विधानसभा चुनाव: कांग्रेस की राह में कई चुनौतियां, क्या भाजपा को हराना आसान होगा?

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चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर उत्साहित है। पार्टी का मानना है कि भाजपा की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर वह बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने में सफल होगी। हालांकि, कांग्रेस के सामने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई बड़ी चुनौतियां हैं। पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के साथ-साथ आम आदमी पार्टी (AAP) के अलग से चुनाव लड़ने के ऐलान ने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

आम आदमी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने से बढ़ी मुश्किलें
हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ही अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियां गठबंधन के तहत मैदान में थीं। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 9 सीटों में से 5 सीटें जीतने में सफलता पाई थी, वहीं आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार सुशील गुप्ता कुरुक्षेत्र से 29 हजार वोटों से हार गए थे। इस चुनाव में कांग्रेस को अपने वोट प्रतिशत में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ था, जिससे पार्टी ने आशा जताई थी कि ‘आप’ का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला कांग्रेस के लिए फायदेमंद नहीं होगा।

भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है कांग्रेस, ‘आप’ और क्षेत्रीय दलों की एकजुटता
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दलों को उम्मीद है कि सत्ता विरोधी लहर, किसान और पहलवानों के मुद्दे का फायदा उठाकर वे भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा पाएंगे। वहीं, भाजपा का मानना है कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य दलों के बीच वोटों का बंटवारा होने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा। भाजपा को गुजरात और गोवा चुनाव के परिणामों से भरोसा है, जहां उसने शानदार प्रदर्शन किया था।

गुजरात और गोवा में ‘आप’ का नुकसान, क्या हरियाणा में भी होगा असर?
गुजरात और गोवा में आम आदमी पार्टी के अलग चुनाव लड़ने से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान हुआ। ‘आप’ ने केवल 5 सीटें जीतीं, लेकिन पार्टी के वोटों ने कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर बढ़ा दिया।

दिल्ली से सटे क्षेत्रों में बढ़ा ‘आप’ का समर्थन
हरियाणा के दिल्ली से सटे क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी का समर्थन बढ़ा है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, और अब विधानसभा चुनाव में भी ‘आप’ पूरी ताकत से मैदान में उतरने की योजना बना रही है। इससे भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है।

कांग्रेस के लिए हरियाणा की लड़ाई आसान नहीं

कांग्रेस को उम्मीद है कि वह सत्ता विरोधी लहर और स्थानीय मुद्दों का फायदा उठाकर भाजपा को हराने में सफल होगी, लेकिन अंदरूनी गुटबाजी और ‘आप’ के बढ़ते प्रभाव को लेकर पार्टी को सतर्क रहना होगा। आगामी विधानसभा चुनाव हरियाणा की सियासी तस्वीर को बदलने का मौका हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए कांग्रेस को अपने विरोधी दलों के साथ साथ अपने भीतर की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।