हरियाणा विधानसभा चुनाव: आचार संहिता लागू होते ही अफसरों के तबादलों पर घिरी भाजपा, कांग्रेस और आप ने बोला हमला
चंडीगढ़: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सियासी माहौल गरमा गया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। इन दलों ने चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कर राज्य सरकार पर सरकारी अधिकारियों के तबादलों के जरिए प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस का आरोप: खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आचार संहिता लागू होने के बाद 21 आईएएस, 65 एचसीएस, और 12 आईपीएस अधिकारियों समेत कई अन्य अधिकारियों का तबादला करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि यह चुनाव आयोग की गाइडलाइन का सीधा उल्लंघन है। पार्टी ने शिकायत के साथ तबादलों की सूची भी निर्वाचन आयोग को सौंपी है और मांग की है कि इन तबादलों को तुरंत रद्द किया जाए।
हरियाणा कांग्रेस ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरते हुए कहा कि सरकार पारदर्शी चुनाव कराने के बजाय अधिकारियों को अपनी सुविधा के अनुसार बदल रही है। कांग्रेस ने इस कृत्य को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ बताते हुए भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
आप का हमला: भाजपा पारदर्शिता से डरती है
आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। आप नेता अनुराग ढांडा ने कहा, “चुनाव आयोग की घोषणा के बाद 86 अधिकारियों का ट्रांसफर करना भाजपा की मंशा पर सवाल खड़ा करता है। यह दिखाता है कि भाजपा निष्पक्ष चुनावों से घबराई हुई है और प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर रही है।”
आप ने भी इन तबादलों को पूरी तरह से गैर-कानूनी बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार आचार संहिता का खुला उल्लंघन कर रही है। पार्टी ने चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए तबादलों को रद्द करने और भाजपा सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
तबादलों से उठा विवाद
निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। इसके तुरंत बाद, भाजपा सरकार ने बड़े पैमाने पर आईएएस, आईपीएस, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों के तबादले कर दिए। इस कदम ने सियासी दलों को भाजपा सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है।
चुनाव आयोग से बड़ी कार्रवाई की मांग
कांग्रेस और आप ने यह मामला निर्वाचन आयोग के पास उठाया है और सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इन दलों का कहना है कि चुनाव की घोषणा के बाद अधिकारियों के तबादले लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।