September 22, 2024

उत्तराखण्डः सीएम की ताजपोशी पर दिल्ली का रहा हमेशा दखल, बदलेगा इस बार इतिहास!

देहरादून। उत्तराखण्ड में चुनाव नतीजे के लिए एक रात का फासला रह गया है। 10 मार्च यानि कल बुधवार को चुनाव परिणाम आने के बाद नई सरकार और नए मुख्यमंत्री को लेकर तस्वीर साफ होनी शुरू हो जाएगी। इसके बाद ही प्रदेश को 11वां मुख्यमंत्री मिलेगा।

चुनाव नतीजे किसी दल के फेवर में रहेगें ये तो नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खेमों में जोड़-तोड़ अभी से देखी जा सकती है। प्रदेश में मुख्य मुकाबले में ये ही दोनों सियासी दल हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को लेकर दोनों सियासी दलों के बड़े चेहरों में ही खींचतान देखी जा रही है। लेकिन जिस तरह का उत्तराखंड का अब तक का इतिहास रहा है, ऐसे में अचानक कोई नया चेहरा अगर हाईकमान लेकर आए तो प्रदेशवासियों को हैरानी नहीं होनी चाहिए।

10 मुख्यमंत्री मिले अब तक हाईकमान ने हर बार चौंकाया। उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 में अस्तित्व में आया। भाजपा हाईकमान ने नित्यांनद स्वामी को मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा हाईकमान के इस फैसले से शुरूआत में भाजपा संगठन के अंदर ही मतभेद शुरू हो गए थे। ऐसे में स्वामी 29 अक्टूबर 2001 तक यानि 354 दिन ही सीएम रहे। इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी ने 123 दिन तक सरकार चलाई।
2002 में उत्तराखंड में पहला चुनाव हुआ। कांग्रेस सत्ता में आई हरीश रावत खेमा सक्रिय हुआ लेकिन हाईकमान ने एनडी तिवारी को प्रदेश की कमान सौंप दी। 5 साल तक तिवारी ने सरकार चलाई।

इसके बाद 2007 में भाजपा के हाथ सत्ता की चाबी आई। हाईकमान ने बीसी खंडूरी को सीएम बना दिया। इस समय भाजपा खेमे में खंडरी, कोश्यारी और निशंक तीन खेमे थे। दो खेमों में नाराजगी खुलकर देखी गई। जिस कारण हाईकमान को बीच में 839 दिन बाद निशंक को सीएम की कुर्सी सौंपनी पड़ी। पार्टी ने फिर से 808 दिन बार खंडूरी को सीएम बना दिया।

2012 में तीसरी बार विधानसभा का चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने सरकार बना ली। इस बार हरीश रावत प्रमुख दावेदार माने गए, लेकिन विजय बहुगुणा को हाईकमान ने सीएम बना दिया। हालांकि बहुगुणा 690 दिन का कार्यकाल ही पूरा कर पाए। इसके बाद आखिरकार हरीश रावत मुख्यमंत्री बने। बीच में सरकार अस्थिर भी हुई लेकिन वे 1097 दिन के सीएम रहे।

अब 2017 में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार बनी। भाजपा में प्रकाश पंत, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत के नाम सीएम की रेस में रहे, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बनाया गया। त्रिवेंद्र प्रचंड बहुमत की सरकार को 1453 ही चला पाए, इसके बाद 116 दिन के लिए तीरथ सिंह रावत और चुनाव से ठीक पहले 246 दिन के सीएम पुष्कर सिंह धामी सीएम रहे हैं। साफ है कि सीएम की कुर्सी को पाने के लिए दिल्ली से ही हर बार आशीर्वाद लेना जरुरी रहा है।


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