हरियाणा चुनाव: मजबूत कांग्रेस से निपटने की चुनौती, ‘वोट कटवा’ बिगाड़ सकते हैं बीजेपी का खेल
चंडीगढ़, 16 अगस्त: हरियाणा में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। 1 अक्तूबर को होने वाले मतदान के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तीसरी बार सत्ता हासिल करने की चुनौती शुरू होगी। लेकिन इस बार मुकाबला कठिन है। राज्य में मजबूत होती कांग्रेस, सत्ता विरोधी लहर, और बहुकोणीय मुकाबले ने चुनावी समीकरण उलझा दिए हैं।
भाजपा के सामने कांग्रेस की चुनौती
भाजपा, जिसने 2014 में पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सत्ता हासिल की थी, इस बार कांग्रेस की आक्रामक रणनीति का सामना कर रही है। 2019 में जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने वाली भाजपा को इस बार अपने बलबूते बहुमत हासिल करना होगा।
मार्च 2024 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद, भाजपा ने साहसिक कदम उठाया। सैनी को अब स्वच्छ छवि और पारदर्शी प्रशासन के नाम पर प्रचारित किया जा रहा है।
‘वोट कटवा’ पार्टियां भी खेल बिगाड़ने को तैयार
इस बार चुनावी मैदान में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला तो है, लेकिन जजपा, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और आम आदमी पार्टी (आप) के भी उतरने से बहुकोणीय मुकाबला तय है। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जजपा, इनेलो और आप को ‘वोट कटवा’ करार दिया है और दावा किया है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच ही असली टक्कर होगी।
आम आदमी पार्टी ने हाल ही में अपने चुनावी अभियान के तहत ‘पांच गारंटियों’ का वादा किया है, जिसमें मुफ्त बिजली, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त चिकित्सा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक सहायता शामिल है।
भाजपा का चुनावी दांव
भाजपा ने किसानों और समाज के विभिन्न वर्गों के लिए कई घोषणाएं कर चुनावी समीकरण साधने की कोशिश की है। हाल ही में सैनी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 10 नई फसलों को शामिल करने का फैसला किया। इसके साथ ही भाजपा केंद्र में अपनी सत्ता का लाभ उठाकर राज्य में स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस का ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान
कांग्रेस ने बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों को चुनावी हथियार बनाया है। ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान के तहत कांग्रेस ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर बुजुर्गों को 6,000 रुपये मासिक पेंशन, हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर दिया जाएगा।
कांग्रेस की बढ़ती ताकत
हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटें भाजपा से छीन लीं। विधानसभा के 90 क्षेत्रों में कांग्रेस ने 46 पर बढ़त का दावा किया। इस प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस राज्य में सत्ता विरोधी लहर के सहारे वापसी की कोशिश में है।
क्या होगी जजपा और इनेलो की भूमिका?
जजपा और इनेलो के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद दोनों दलों को अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी।
हरियाणा की जनता का फैसला 1 अक्तूबर को होगा, जबकि 4 अक्तूबर को चुनाव परिणाम सामने आएंगे। देखना यह है कि भाजपा अपनी सत्ता बचा पाती है या कांग्रेस सत्ता में वापसी का इतिहास रचती है।