September 22, 2024

आईएएस इफ्तिखारूद्दीन ने माना उनके आवास के ही हैं विवादित वीडियो, किताब बढ़ा सकती है मुश्किलें

धर्मांतरण संबंधित विवादित वीडियो के मामले में फंसे कानपुर के पूर्व मंडलायुक्त और उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन आईएएस मु. इफ्तिखारुद्दीन ने माना है कि सोशल मीडिया में वायरल विवादास्पद वीडियो उनके सरकारी आवास के ही हैं. असल में राज्य सरकार द्वारा गठित एसआइटी (विशेष जांच दल) की पूछताछ में आईएएस इफ्तिखारुद्दीन ने वीडियो उनके कानपुर मंडलायुक्त आवास के ही होने की बात स्वीकारी है. हालांकि अपने बचाव में इफ्तिखारूदीन ने कहा कि यह वीडियो रमजान के हैं और उनका कहना है कि उन्होंने कोई भी धर्मांतरण संबंधित बयान इसमें नहीं दिया है. दरअसल एसआइटी वायरल वीडियो में कही जा रही धार्मिक बातों का परीक्षण आल इंडिया सर्विस कंडक्ट रूल्स के तहत कर रही है.जिसमें इफ्तिखारूद्दीन के दोषी साबित होने के बाद उन्हें दस साल तक की सजा हो सकती है. बताया जा रहा है कि एसआइटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप सकती है.

राज्य में धर्मांतरण के मामलों का खुलासा होने के बाद सोशल मीडिया में आईएएस अफसर इफ्तिखारूद्दीन के कई वीडियो सोशल मीडिया में वा्यरल हो रहे थे. जिसमें वह धर्मांतरण को लेकर बात कर रहे हैं. मामले चर्चा में आने के बाद राज्य सरकार ने इसके लिए एसआईटी का गठन किया था. वहीं एसआईटी प्रमुख और डीजी सीबीसीआइडी जीएल मीणा की अध्यक्षता में गठित टीम ने बुधवार को आईएएस इफ्तिखारुद्दीन से लंबी पूछताछ की थी और पूछताछ का सिलसिला गुरुवार तक चला.जानकारी के मुताबिक इस मामले में इफ्तिखारुद्दीन की पत्नी व परिवार के दो अन्य सदस्य भी उनके साथ सीबीसीआइडी मुख्यालय पहुंचे थे और एसआइटी में शामिल एडीजी कानपुर जोन भानु भाष्कर ने इस मामले में पूछताछ की थी.

सरकारी आवास में होते थे धार्मिक आयोजन

फिलहाल इस मामले में जो भी खुलासे हो रहे हैं. वह इफ्तिखारूदीन के लिए आने वाले दिनों में मुसीबत बन सकते हैं. क्योंकि इस मामले में ये खुलासा हो रहा है कि कानपुर के मंडलायुक्त रहते हुए वह अपने सरकारी आवास पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं.असल में सरकारी नियमों के मुताबिक ये कोई अपराध नहीं है. लेकिन सरकारी नौकरी में रहते हुए किसी धर्म विशेष का प्रचार-प्रसार करना गलत है और इसकी किसी भी अफसर और कर्मचारी को अनुमति नहीं है. वहीं इफ्तिखारुद्दीन 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त के पद पर तैनात रहे थे और इस दौरान ही उन पर धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप है.

किताब बढ़ा सकती है मुश्किलें

असल में एसआइटी के हाथ किताब भी लगी हैं। जिन्हें इफ्तिखारुद्दीन ने लिखा है. इन किताबों के जरिए इफ्तिखारूद्दीन धर्म विशेष की बातों को बढ़ाकर लोगों के सामने पेश कर रहे हैं. वहीं एसआईटी इस बात की भी जांच कर रही है कि इन किताबों के प्रकाशन के लिए उन्होंने किसी की अनुमति ली थी या नहीं. क्योंकि सरकार कर्मचारी को किसी भी प्रकाशन से पहले सरकार से अनुमति लेनी हो ती है और सरकार की मंजूरी के बात ही उसे प्रकाशित किया जा सकता है.


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