September 23, 2024

अब पीओके में लहराएगा तिरंगा, भारत ने उठाया ये बड़ा कदम

भारत ने पीओके में तिरंगा फहराने की दिशा में बड़ा कदम उठा दिया है। हिंदुस्तान के मौसम बुलेटिन में अब पीओके के साथ गिलगित,बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद भी देखे जाएंगे, वहां के मौसम का हाल भी बताया जाएगा। भारत की इस पहल को रक्षा विशेषज्ञ बड़ी कूटनीतिक पहल के तौर पर देख रहे हैं। हाल में ही पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराने के लिए कहा तो भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

भले ही पीओके पर अभी पाकिस्तान का अवैध कब्जा हो, भले ही गिलगिल- बाल्टिस्तान में पाकिस्तानी हुकूमत चुनाव कराने की तैयारी में हो। लेकिन हिंदुस्तान पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले इस हिस्से को पूरी तरह से अपना मानता है। अब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जम्मू-कश्मीर के मौसम का पूर्वानुमान पेश किया है। मौसम विभाग ने गिलगित-बाल्टिस्तान को जम्मू-कश्मीर सब-डिवीजन का हिस्सा दिखाया है और इस क्षेत्र में 7 मई से 10 मई तक मौसम कैसे रहेगा, इसका पूर्वानुमान बताया है।

भारत ने पाकिस्तान को एक झटके में दो टूक समझा दिया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान उसका अभिन्न अंग है। रक्षा विशेषज्ञ इसे पीओके को लेकर दिल्ली की आक्रामक रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान ने धोखे से कब्जा जमाए हुए है। कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव की इजाजत दी, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताया था। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान को साफ बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा हैं। अवैध कब्जे वाले इस हिस्से पर पाकिस्तान सरकार या वहां की अदालतें कोई फैसला नहीं ले सकतीं। भारत इन हरकतों को कभी सहन नहीं करेगा।

मोदी सरकार कई बार साफ-साफ कह चुकी है कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान खाली करे। लेकिन ये समझना भी जरुरी है कि पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान पर धोखे से कब्जा किया हुआ है। गिलगित-बाल्टिस्तान का खुबसूरत इलाका कभी जम्मू-कश्मीर रियासत का हिस्सा हुआ करता था। पहले इसे उत्तरी इलाका यानी नार्दन एरियाज कहा जाता था। इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वाह और पूर्व में भारत है। अपने इसी भूगोल की वजह से ये इलाका भारत, चीन और पाकिस्तान तीनों के लिए सामरिक तौर पर बहुत अहम बन जाता है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में रहनेवाले लाखों लोग पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं। एक ऐसी साजिश के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ धोखा हुआ, जिसमें अंग्रेज भी शामिल थे। बात अगस्त 1947 की है। भारत आजाद की खुली हवा में सांस ले रहा था। अंग्रेजों ने इस इलाके की लीज खत्म कर महाराजा हरि सिंह को जानकारी दे दी थी। हरि सिह को गिलिगित स्काउट के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा। कर्नल मिर्जा हसन को अंग्रेजों का पूरा साथ मिल रहा था। पाकिस्तान के गर्वनर जनरल मोहम्मद अली जिन्ना की पहले से ही गिलगित पर पैनी नजर थी।

2 नवंबर, 1947 को कर्नल मिर्जा हसन ने गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। ब्रिटेश अफसर मेजर ब्राउन ने इस क्षेत्र के हेडक्वाटर पर पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया। इससे ठीक दो दिन पहले 31 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह ने अपनी जम्मू-कश्मीर रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दी थी। 21 दिन बाद पाकिस्तान इस गिलगित-बाल्टिस्तान में घुसा और अपने फौजियों के दम पर इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। अप्रैल 1949 तक गिलगिट-बाल्टिस्तान के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का हिस्सा माना जाता रहा है। लेकिन, पाकिस्तान ने बहुत चालाकी से एक और बड़ी साजिश रची और इस क्षेत्र को PoK से अलग कर दिया।

2018 में एक आदेश के जरिए पाकिस्तान ने 2009 के एंपावर एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर को बदल दिया। इसमें गिलगित-बाल्टिस्तान के लिए राज्यपाल, विधानसभा और मुख्यमंत्री का प्रावधान था, गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल भी बनाई गयी। लेकिन बड़ा सच ये है कि पाकिस्तान में चाहे आर्मी का शासन रहा हो या फिर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार, इस्लामाबाद और रावलपिडी में बैठे शासकों की गिलगिट-बाल्टिस्तान को पैरों से कुचलने वाली नीति रही। अब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने गिलगित-बाल्टिस्तान के मौसम का पूर्वानुमान बताकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और वहां के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का बर्ल्ड प्रेशर बढ़ा दिया है।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com