भारत-चीन अग्रिम मोर्चे पर और नहीं भेजेंगे सैनिक, एलएसी पर एकतरफा बदलाव से भी बचेंगे

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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव में कमी लाने के लिए भारत और चीन अग्रिम मोर्चे पर अपने और सैनिकों को नहीं भेजेंगे। दोनों देश एलएसी पर किसी तरह के एकतरफा बदलाव से भी बचेंगे। साथ ही दोनों देश ऐसी किसी कार्रवाई से भी बचेंगे, जिससे हालात और जटिल हो। दोनों देशों की सेनाओं ने मंगलवार को साझा बयान जारी कर इन फैसलाें के बारे जानकारी दी।

दोनों देशों के बीच सोमवार को करीब 14 घंटे की छठे दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत के बाद मंगलवार को भारतीय सेना की ओर से जारी साझा बयान में कहा गया है कि दोनों देश जमीनी स्तर पर संवाद को और मजबूत बनाने पर भी सहमत हुए हैं। साथ ही दोनों पक्ष गलतफहमियों और गलत अंदाजा लगाने से बचते हुए अपने नेताओं के बीच बनी सहमति को ईमानदारी से लागू करने पर भी सहमत हुए। इसमें कहा गया है कि दोनों देश जमीनी स्तर पर समस्याओं को ठीक से सुलझाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव बनाए रखने पर भी रजामंद हुए हैं।

सातवें दौर की सैन्य कमांडर बातचीत जल्द से जल्द

बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सातवें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत जल्द से जल्द होगी। भारत ने यह भी कहा कि चीन पूर्वी लद्दाख के उन सभी मोर्चों से पीएलए सैनिक पीछे हटाए जहां वो मई 2020 के बाद से मौजूद है। करीब पांच महीनों से चल रहे तनाव को कम करने का कोई हल नहीं निकल सका। हालांकि बैठक में दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रखने को लेकर सहमति जरूर बनी है।

सोमवार (21 सितंबर) को हुई भारत-चीन के कोर कमांडर लेवल की बैठक पर दोनों पक्षों ने संयुक्त बयान जारी किया है। बयान के मुताबिक, एलएसी के पास हालात ठीक करने पर विस्तृत बातचीत हुई। गलतफहमी से बचने, सीमा पर ज्यादा जवान नहीं भेजने, एकतरफा जमीनी कार्रवाई से हालात बदलने की कोशिश से बचने की बात के पालन पर सहमति बनी। जल्द से जल्द कमांडर लेवल की सातवें राउंड के बैठक पर भी बनी सहमति।
 

भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी पर दोनों देशों के बीच बनी पांच सूत्रीय सहमति को लागू करने के लिए सोमवार को वार्ता हुई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, छठे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशूल सेक्टर के पार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ स्थित मोल्डो में सुबह करीब नौ बजे शुरू हुई थी।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने की। सूत्रों ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव स्तर का अफसर और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हैं, जो अगले महीने 14 कॉर्प्स के कमांडर के तौर पर सिंह का स्थान ले सकते हैं।

ऐसा पहली बार हुआ जब इस पर्वतीय क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में विदेश मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। इसके अलावा, भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) में भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

बता दें कि दोनों सेनाओं के कॉर्प्स कमांडर-स्तर के अधिकारी अब तक पांच बार मिल चुके हैं, लेकिन लद्दाख सेक्टर में जारी गतिरोध को खत्म करने में नाकाम रहे हैं। इस कारण दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर महत्वपूर्ण सैन्य निर्माण किया गया है। दरअसल, बीते कुछ हफ्तों से चीन के हिस्से में आने वाला मोल्डो गैरिसन में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं। जब से सीमा पर चीन का आक्रोश बढ़ा है, तब से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे हालात पर नजर रखे हुए हैं।

पिछले शनिवार को भारतीय सेना की एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत आला अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक में ये तय किया गया था कि भारत की तरफ से चीन के सामने कौन-कौन से मुद्दे उठाए जाएंगे। बीते दिनों 4 सितंबर को हुई दोनों मुल्कों के रक्षा मंत्रियों और फिर 10 सितंबर को हुई विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत और चीन ने बातचीत के जरिए मामला सुलझाने की बात की थी।