September 22, 2024

गलवां घाटी में एक किमी. तक पीछे हटी चीनी सेना

भारत और चीन के बीच मई के महीने से जारी विवाद में अब बड़ी खबर सामने आई है. 15 जून को जिस जगह पर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आई थीं, अब वहां से चीनी सेना करीब एक किमी. पीछे हट गई है. सेनाओं के बीच लगातार सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर मंथन चल रहा था, ऐसे में ये इस प्रक्रिया का पहला पड़ाव माना जा रहा है.

लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गलवान घाटी में हिंसा वाले स्थल के पास से चीनी सेना करीब एक किमी. पीछे हट गई है.

सूत्रों की मानें, तो दोनों देशों की सेना ने रिलोकेशन पर सहमति जाहिर की है और सेनाएं मौजूदा स्थान से पीछे हटी हैं. गलवान घाटी के पास अब बफर जोन बनाया गया है, ताकि किसी तरह की हिंसा की घटना फिर ना हो पाए.

चीनी सेना ने अपने टेंट, गाड़ी और सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है. कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत में यही तय हुआ था. आर्मी के सूत्रों के अनुसार, चीनी करीब एक किमी. पीछे गए हैं, जो भारतीय हिस्से से देखा जा सकता है. हालांकि, गलवान घाटी में काफी पीछे तक चीन ने अपना साजो सामान रखा हुआ है. इसके बाद दोनों सेनाओं में आगे की बात भी हो सकती है.

गलवान घाटी में शहीद हुए थे 20 जवान

आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच मई के महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई है. ईस्टर्न लद्दाख बॉर्डर पर गलवान घाटी के पास पैंगोंग लेक तक चीनी सेना और भारतीय सेना आमने-सामने हैं.

जून के पहले हफ्ते में दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ, जहां पर सैन्य लेवल पर बात हुई. लेकिन 15 जून को इसी दौरान गलवान घाटी में झड़प हुई, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन को भी बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन उसने कभी इसे नहीं माना.

कई दौर की हुई है बात

भारतीय सेना ने 6 जून, 22 जून और 30 जून को चीनी सेना से बात की. जिसमें मौजूदा स्थिति को वापस अप्रैल से पहले की स्थिति पर ले जाने की बात कही गई. भारत अपने मुद्दे पर अड़ा रहा, लेकिन चीन नहीं माना.

बॉर्डर के पार चीन की ओर से बढ़ाई जा रही सेना की मौजूदगी के जवाब में भारत ने भी अपनी तैनाती को बढ़ा दिया. अब लद्दाख बॉर्डर पर भारतीय सेना की कई टुकड़ियां तैनात हैं.

पीएम मोदी ने दौरे से चौंकाया था

पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लेह पहुंच गए थे. पीएम मोदी नीमू पोस्ट पर पहुंचे थे, जो लद्दाख बॉर्डर से कुछ दूर था हालांकि यहां बड़ी संख्या में सेना के जवान मौजूद हैं.

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यहां सख्त संकेत दिया था कि अब विस्तारवाद का वक्त चला गया है और विकासवाद का वक्त आ गया है. इसी बयान के बाद चीन बौखला गया था.


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