सत्ता से बेदखल कर दिया गया राजवंश पूरे विपक्ष के बराबर नहीं हो सकता- जेपी नड्डा,राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा
भारत-चीन विवाद पर कांग्रेस पार्टी लगातार केंद्र सरकार पर हमला बोल रही है। वहीं, आज भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पार्टी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सत्ता से बेदखल कर दिया गया राजवंश पूरे विपक्ष के बराबर नहीं हो सकता है। बता दें कि लद्दाख की गलवां घाटी में 20 जवानों के शहीद होने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी भाजपा पर हमलावर है।
सिलसिलेवार ट्वीट कर कांग्रेस को घेरा
भाजपा अध्यक्ष ने बुधवार को सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, ‘एक राजवंश और उसके वफादार दरबारियों को पूरे विपक्ष के एक होने का भ्रम है। एक राजवंश ने कुछ सवाल उठाए और उसके वफादार दरबारियों ने झूठ फैलाए।’ दरअसल, नड्डा ने मंगलवार को राहुल पर आरोप लगाया था कि उनके बयान से सेना का मनोबल गिर रहा है।
सर्वदलीय बैठक में सभी ने दिए सुझाव, लेकिन एक परिवार अपवाद था
नड्डा ने कहा, ‘विपक्ष को सवाल पूछने का हक है। सर्वदलीय बैठक में अच्छे तरीके से विचार-विमर्श किया गया, इसमें कई नेताओं ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने आगे का रास्ता तय करने में भी केंद्र का पूरा समर्थन किया। केवल एक परिवार अपवाद था, क्या कोई अनुमान लगा सकता है वह परिवार कौन है?’
अपने वंशज को दोबारा लॉन्च करने के लिए परिवार इंतजार कर सकता है
जेपी नड्डा ने कहा, ‘एक खारिज और बेदखल किया गया राजवंश पूरा विपक्ष नहीं हो सकता है। एक राजवंश का हित पूरे भारत का हित नहीं है। आज, देश एकजुट होकर सेना का समर्थन कर रहा है। यह समय एकजुटता का है। परिवार अपने वंशज को दोबारा लॉन्च करने के लिए अभी इंतजार कर सकता है।’
राजवंश की वजह से हजारों किलोमीटर जमीन खोई
भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘राजवंश की दुर्गति की वजह से हमने हजारों किलोमीटर अपनी जमीन खो दी। सियाचिन ग्लेशियर लगभग हाथ से निकल गया और भी बहुत कुछ। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं है कि भारत ने उन्हें खारिज कर दिया।’
बता दें कि, भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार पर हमलावर हैं। वह लगातार सरकार से सवाल पूछने में लगे हुए है। मंगलवार को उन्होंने ट्वीट कर पूछा था कि गलवां घाटी में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत का जिम्मेदार कौन है? वहीं, मंगलवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति बैठक में सोनिया गांधी ने भी सीमा विवाद को सरकार के कुप्रबंधन का परिणाम करार दिया था।