September 22, 2024

रक्षा मंत्रालय ने पहली बार मानी चीनी घुसपैठ की बात, डॉक्यूमेंट किया जारी

रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर पहली बार स्वीकार किया है कि चीनी सैनिकों ने मई में पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। यह जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है जब गतिरोध वाले क्षेत्रों पैंगोंग त्सो और गोगरा से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए पांच बार सैन्य स्तर की वार्ता हो चुकी है। रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक डॉक्यूमेंट अपलोड किया है जिसमें उसने स्वीकार किया है कि मई महीने से चीन लगातार एलएसी पर अपना अग्रेशन बढ़ाता जा रहा है। खासतौर से गलवान घाटी पैंगोंग त्सो गोगरा हॉट स्प्रिंग जैसे क्षेत्रों में। रक्षा मन्त्रालय के वेबसाइट पर अपलोड किए गए। डॉक्यूमेंट के मुताबिक चीन ने 17 से 18 मई के बीच लद्दाख में  कुंगरांग नाला, गोगरा और पैंगोंग त्सो झील के नॉर्थ बैंक में अतिक्रमण किया है।

रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर मंगलवार को अपलोड किए गए नए दस्तावेज के अनुसार, चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला (हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पैट्रोलिंग प्वाइंट-15 के पास), गोगरा (पीपी-17 ए) और पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर 17-18 मई को घुसपैठ की थी। हालांकि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘घुसपैठ’ के लिए भारत द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘अतिक्रमण’ शब्द का किसी भी आधिकारिक बयान या दस्तावेज में उल्लेख नहीं किया गया है। मंत्रालय का ये बयान ऐसे समय में आया है जब शीर्ष स्तर की सैन्य वार्ता के पांच दौर के बावजूद पैंगोंग त्सो और गोगरा में गतिरोध जारी है।

रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर मंगलवार को अपलोड किए गए नए दस्तावेज में बताया गया कि बीजिंग पक्ष ने कुगरांग नाला (हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पैट्रोलिंग पॉइंट-15 के पास) गोगरा (पीपी-17ए) और पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट के क्षेत्रों में 17-18 मई को सीमा का उल्लंघन (Transgression) किया। बता दें कि ‘Transgression’ शब्द का इस्तेमाल भारत द्वारा चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ‘घुसपैठ’ के लिए उपयोग किया जाता है। 5-6 मई को पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर विरोधी सैनिकों के बीच पहली झड़प के बाद हुए सैन्य टकराव के बाद से किसी भी आधिकारिक बयान या दस्तावेज में ‘Transgression’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है। दस्तावेज में कहा गया कि गतिरोध लंबा हो सकता था और उभरते हुए हालात में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है।

आपको बता दें कि गलवां घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। जिसमें कर्नल रैंक के अधिकारी भी शामिल थे। वहीं चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचा था लेकिन ड्रैगन ने अपने सैनिकों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। तब विदेश मंत्रालय ने कहा था कि एलएसी को पार करने की चीनी कोशिशों की वजह से सेना के बीच संघर्ष हुआ था। मंत्रालय ने कहा था कि चीन ने पारंपरिक भारतीय गश्ती में बाधा डाली थी।

सूत्रों के मुताबिक भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 5 वें दौर का बातचीत रहा बेनतीजा। यह बैठक चीन के अनुरोध पर मोलडो में रविवार को हुई थी जो दस घंटे तक चली थी । अब चीन ने उल्टा भारत से  पैंगोंग त्सो से पीछे हटने को कहा इस प्रस्ताव को भारत ने ठुकराया दिया है। 

चीन ने भारत से फिंगर 4 से भी पीछे हटने को कहा जबकि भारत फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग किया करता था और उसे फिंगर 8 को एलएसी मानता है। फिंगर 4 एलएसी के इस पार भारत के नियंत्रण वाला क्षेत्र रहा है। लेकिन मई महीने से चीनी सेना फिंगर 4 पर आ चुकी थी बाद में बातचीत के बाद चीनी सेना फिंगर 5 पर चली गई ।  भारतीय सेना को अब भी चीनी सेना फिंगर 8 तक पैट्रोलिंग करने के लिए आगे नहीं बढ़ने दे रही। 

चीन के प्रस्ताव को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की अध्यक्षता वाली चीन स्टडी ग्रुप ने अध्ययन किया। जिसके बाद सेना ने हॉटलाइन के जरिये चीन को बता दिया कि उसका प्रस्ताव भारत को मंजूर नहीं। रविवार को हुई बातचीत में चीन भी पैंगोंग त्सो से पीछे नहीं हटने पर अड़ा रहा। भारत ने एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चीन के पीछे हटने और अप्रैल की यथास्थिति कायम करने की शर्त रखा था। अब चीन भारत से ही पीछे हटने को कह रहा।  हॉट स्प्रिंग गोगरा  के पैट्रोलिंग पॉइंट 17 और 17-A से भी अब चीनी सेना पीछे नहीं हट रही और डिसइनगेजमेंट  प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है।


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