September 22, 2024

मोदी सरकार ने दिया भरोसा,छोटे दुकानदारों को ई-कॉमर्स फर्मों के मनी-मसल पावर से बचाएंगे

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ किया है कि भारत अपने छोटे कारोबारियों का पूरा ध्यान रखेगा और ई-कॉमर्स कंपनियों को इस बात की छूट नहीं दी जाएगी कि वे ताकत और धन का इस्तेमाल कर उन्हें कारोबार से बाहर फेंक दें. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा आयोजित इंडिया इकोनॉमिक समिट में पीयूष गोयल ने यह बात कही. इस अवसर पर अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर एल. रॉस भी मौजूद थे. सत्र का संचालन आजतक और इंडिया टुडे के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल ने किया.

भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं

पीयूष गोयल ने कहा, ‘भारत तेजी से खुल रहा है, लेकिन हमें अपने को बचाने की जरूरत भी है. व्यापार काफी जटिल मसला है. खासकर ई-कॉमर्स की बात करें तो इस मामले में भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है. ई-कॉमर्स कंपनियां मनी और मसल पावर का इस्तेमाल कर छोटे कारोबारियों को कारोबार से बाहर फेंक दें. हम यह नहीं होने देंगे.’

सुलझेगी अमेरिका के साथ ट्रेड समस्या

अमेरिका के साथ ट्रेड डील न होने और व्यापार के रास्ते की समस्याओं पर पीयूष गोयल ने कहा, ‘जो कोई भी समस्या होगी हम उसे बातचीत से सुलझा लेंगे. अमेजॉन पहले ही भारत में काफी निवेश कर चुकी है, इसलिए अब वह भारत में निवेश में कटौती कर रही है. मैं फिर कहूंगा कि भारत की तरफ से नीति में कोई बदलाव नहीं आया है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय उपभोक्ता के पास धन और नौकरियां हों. ‘ 

अमेरिका से कारोबार पर पीयूष गोयल ने कहा, ‘भारत और अमेरिकी सरकार के बीच रिश्ता सर्वकालिक ऊंचाई पर है और दोनों के बीच बहुपक्षीय रिश्ते का व्यापार एक पहलू है. हम भारत-अमेरिका के बीच परस्पर व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना चाहते हैं.’ 

अमेरिका ने उठाया व्यापार घाटे का मामला

विल्बर रॉस ने कहा, ‘हम अनुचित तरीके से कारोबार नहीं कर सकते. हम भारत सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि न केवल वह अमेरिका बल्कि भारत की भी मदद करे. अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी के साथ अच्छा रिश्ता बनाया है. ऐसा रिश्ता अमेरिका में पहले कभी नहीं था. भारत और अमेरिका एक-दूसरे के मसले को समझते हैं. व्यापार घाटे को लेकर कुछ भ्रम है. हमें लगता है कि व्यापार घाटा ज्यादा है. हम इस घाटे को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम परस्पर मिलकर इस घाटे को कम कर सकते हैं और व्यापार को बढ़ा सकते हैं. हमने कनाडा, जापान के साथ समझौता किया है.’

उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी अब परंपरागत छोटे दुकानदार मुश्किल से गुजर रहे हैं. मेरा मानना है कि यदि आज के 100 साल के बाद भी भारत में ऐसे छोटे दुकानदार ज्यादा रहे तो यह कोई अच्छी बात नहीं होगी. हमें लगता है कि भारत को इन प्रतिस्पर्धी बाजार को संभालना होगा.


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