September 22, 2024

बजट से पहले इस सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, जानिए आरबीआई के खजाने में कितना जमा है

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 67.8 करोड़ डॉलर घटकर 634.287 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 14 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर हो गया था. जबकि तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह रिकार्ड 642.453 के उच्च स्तर पर रहा था. आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 21 जनवरी को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट आना है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में एफसीए 1.155 अरब डॉलर घटकर 569.582 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है.

इस सप्ताह स्वर्ण भंडार का मूल्य 56.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.337 अरब डॉलर हो गया. आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास विशेष आहरण अधिकार 6.8 करोड़ डॉलर घटकर 19.152 अरब डॉलर रह गया.अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार भी 2.2 करोड़ डॉलर घटकर 5.216 अरब डॉलर रह गया.

रुपए को मिलती है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जैसा कि हम जानते हैं भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. जब भी हम विदेशी से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजैक्शन डॉलर में होते हैं. ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है. अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.


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