लद्दाख: पश्चिमी क्षेत्र में सेनाओं के पीछे हटने के बाद चीन के दावे को लेकर नक्शा मांगेगा भारत
भारत ने पश्चिमी क्षेत्र में सेनाओं के पूरी तरह से पीछे हटने और भारतीय सेना के अपनी पेट्रोलिंग पोस्ट पर वापस जाने के बाद नक्शे के आदान-प्रदान के लिए चीनी पक्ष को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इससे एक-दूसरे के दावे की पुष्टि और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का पता चल जाएगा। इसके बाद प्रबंधन और पेट्रोलिंग प्रोटोकॉल आसान बन जाएंगी।
अभी तक चीन ने इस क्षेत्र में नक्शों का आदान-प्रदान करने से मना कर दिया है। 22 राउंड की बातचीत के बाद चीन ने नक्शों का आदान-प्रदान करने या एलएसी को स्पष्ट करने के प्रति कोई इच्छा जाहिर नहीं की है। उसने केवल केंद्रीय क्षेत्र के नक्शों का आदान-प्रदान किया है।
गलवां झड़प के बाद भारत को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में भी सहमति बन जाएगी। नक्शों के आदान-प्रदान के लिए चीन की अनिच्छा इस संदेह को जन्म देती है कि वे इसे जमीन पर स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उच्च सरकारी सूत्रों का कहना है कि दोनों देश अपनी सेनाओं को फॉरवर्ड पोजिशन से पीछे हटा रहे हैं। भारत स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है। बातचीत में शामिल एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि हम उन्हें क्षेत्र दे रहे हैं।’ इस प्रक्रिया में समय लगेगा।
इसी बीच, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को एक मिलियन डॉलर का अनुदान दिया है ताकि तिब्बती लोगों के वित्तीय और सांस्कृतिक लचीलापन को मजबूत किया जा सके। सैन्य रणनीतिकारों और चीन के पर्यवेक्षकों ने कहा कि भारत को दोकलम परिणाम से बचना चाहिए, जहां चीन ने गतिरोध वाले स्थानों पर अपनी तरफ पोजिशन बना ली थी। यदि लद्दाख में इसे दोहराया जाता है, तो इसके दोनों पक्षों के लिए गंभीर निहितार्थ हो सकते हैं।
इसके अलावा रेलवे ने लेह-लद्दाख तक ट्रैक बिछाने की योजना को गति दे दी है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण दुनिया की सबसे ऊंची बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन परियोजना के प्राथमिक भू सर्वेक्षण का काम पूरा करने के बाद 1500 किलोमीटर रेल सेक्शन की लेवलिंग का काम पूरा हो गया है। बिलासपुर से लेह टाउन के बीच 475 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज पटरी बिछाने का काम भी शुरू हो गया है। इस रेल लाइन के निर्माण की अनुमानित लागत 68,000 करोड़ रुपये है। इस ट्रैक पर 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। पुल, सुरंग, स्टेशनों के महत्वपूर्ण स्थानों पर 184 कंट्रोल प्वाइंटों वाले 89 स्थानों की पहचान की गई है।