जम्मू-कश्मीर पर भारत को मिला अमेरिका का साथ, आतंकियों और अलगाववादियों को घेरा
संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी मानवाधिकार आचरण रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार लाने और पूर्ववर्ती राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कदम उठाए हैं। इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अलगाववादी विद्रोहियों और आतंकवादियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों, नागरिकों की हत्याओं और यातनाओं व बाल सैनिकों की भर्ती और उपयोग का उल्लेख किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक द्विसदनीय विधायिका के साथ एक बहुपक्षीय, संघीय, संसदीय लोकतंत्र है। अमेरिकी कांग्रेस के लिए 2020 मानवाधिकार आचरण पर देश की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर में आंशिक रूप से इंटरनेट सेवाओं को बहाल किया है, इसके अलावा स्थानीय जिला विकास परिषद के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराए हैं, जिसमें विपक्षी दलों ने बहुमत हासिल किया है।
संगठित विद्रोहियों और आतंकवादियों सहित गैर सरकारी बलों ने कई हत्याएं कीं। झारखंड और बिहार में माओवादियों ने सड़कों, रेलवे और संचार टावरों सहित सुरक्षा बलों और बुनियादी सुविधाओं पर हमला जारी रखा। SATP ने बताया कि आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप वर्ष के दौरान 99 नागरिकों, 106 सुरक्षाबल के सदस्यों और 383 आतंकवादियों या विद्रोहियों की मौत हुई। दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (SATP) ने 2000 में इस डेटा की रिपोर्टिंग शुरू करने के बाद से मारे गए नागरिकों की सबसे कम संख्या थी। जुलाई में आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर में पार्टी के छह नेताओं की हत्या कर दी।
हालांकि, अमेरिकी रिपोर्ट में भारत के लिए महत्वपूर्ण मानवाधिकार मुद्दों का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस पर प्रतिबंध का उल्लेख किया गया है, जिसमें हिंसा, हिंसा की धमकी या पत्रकारों के खिलाफ अनुचित गिरफ्तारियां, सामाजिक मीडिया भाषण, सेंसरशिप और साइट अवरुद्ध करने के लिए आपराधिक परिवाद कानूनों का उपयोग, गैर-कानूनी संगठनों पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक नियम, राजनीतिक भागीदारी पर प्रतिबंध, सरकार में सभी स्तरों पर व्यापक भ्रष्टाचार और देश में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को सहन करना शामिल हैं।