September 22, 2024

देश में प्राइवेट ट्रेन चलाएंगे टाटा-अडाणी, इंडिगो या फिर मेक माई ट्रिप, जानिए सरकार का क्या है प्लान ?

हम किसी विशेष मकसद से चलाई जाने वाली प्रोमोशनल या फिर उनके कारखानों में माल ढुलाई के लिए बुक की गई फ्रेट ट्रेन की बात नहीं कर रहे बल्कि पैसेंजर ट्रेनों की बात कर रहे हैं। यानी आने वाले कुछ सालों बाद जब आप दिल्ली से मुम्बई जाने का प्लान करें तो आपके पास विकल्प के तौर पर केवल राजधानी और अगस्क्रान्ति ट्रेन का विकल्प ही नहीं बल्कि आपकी फ्लाइट वाली कंपनी इंडिगो आपको ट्रेन का भी विकल्प दे। और जब आप पॉपुलर ट्रेवल वेवसाइट मेक माय ट्रिप पर टिकट बुकिंग का ऑप्शन देखे तो खुद की ट्रैन में आपको डिस्काउंट टिकट का ऑफर दे।

ये सारी भूमिका हम आपको इसलिए बता रहे है कि भारतोय रेल ने जब से यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी सेक्टर को इनवाइट किया है तब से देश की बड़ी कॉरपोरेट घरानों से लेकर ट्रेवल से सेक्टर में काम करने वाली कंपनियो को एक बड़ा मौका दिख रहा हैं। हमारे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे की योजना में बड़े-बड़े नामों ने दिलचस्पी दिखाई है। इनमें टाटा, अदाणी समूह, अलस्टॉम और मयामी की कंपनी नॉर्वेजियन क्रूज लाइन शामिल हैं। यही नहीं देश की सबसे बड़ी एविएशन कंपनी इंडिगो और ट्रेवल पोर्टल मेकमाईट्रिप ने भी निजी ट्रेन दौड़ाने की संभावना के बारे में उनसे पूछताछ की है। हालांकि ये सभी इंक्योरि अभी शुरुआती दौर में है जिनमें ज्यादातर कम्पनी अभी इस पर कुछ भी नहीं बोल रही है।

फिलहाल रेलवे ने देश भर में 109 रुट पर करीब 151 ट्रेन चलाने के लिए आरएफक्यू जारी कर निजी क्षेत्र की कंपनियों को आंमत्रित किया है। इस सभी रुट को 12 क्लस्टरों में बांटा गया है। आरएफक्यू में सितंबर तक का समय दिया गया हैं इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया फरवरी तक कि जा सकती हैं। माना जा रहा है कि अगले साल अप्रैल तक इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा।

इधर रेलवे के तरफ से नहीं बल्कि दुनिया के टॉप रोलिंग स्टॉक यानी ट्रेन सेट बनाने वाली कंपनियो से संपर्क की हैं क्योंकि रेलवे के द्वारा तय किये गए टर्म एण्ड कंडीशन से साफ कहा गया है कि 160 किलोमीटर प्रति घण्टे की स्पीड से चलने वाली ट्रेन सेट होना चाहिए। हमारे सूत्रों की माने तो टाटा, अदाणी, नॉर्वेजियन क्रूज लाइन, इंडिगो, मेकमाईट्रिप और भारत फोर्ज जैसी कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। भारतीय रेलवे ने निजीकरण के फैसले के वक्त ये तर्क दिया था कि इस कदम से यात्रियों की बढ़ती मांग पूरी करने साथ ही वेटलिस्ट वाले यात्रियों के लिए सीट उपलब्ध हो पाएगी। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 840 करोड़ लोगों ने भारतीय रेल से सफर किया, वही रेलवे साल में 5 करोड़ लोगों को कन्फर्म सीट नहीं दे पाई।

इससे पहले रेलवे ने निजी ट्रेनों के ऑपेरशन में दिलचस्पी दिखाने वाली कंपनियों से आरएफक्यू चरण से पहले वाली बैठक लॉकडाउन से पूर्व की थी। उस बैठक में अदाणी पोट्र्स ऐंड सेज, भारत फोर्ज, एस्सेल समूह, मित्सुई, गेटवे रेल फ्रेट, केईसी इंटरनैशनल, आरके एसोसिएट्स, नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, एसीएफ इंडिया, आई स्क्वायर कैपिटल, इक्विस फंड्स, मैक्वायरी ग्रुप, गेटेक्स, वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स और कन्फर्मटिकट जैसी 26 कंपनियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा बॉम्बार्डियर ट्रंसर्पोटेशन, अलस्टॉम ट्रांसपोर्ट, सीमेंस, हुंडई रोटेम, टालगो, हिताची इंडिया एंड साउथ एशिया, मेधा सर्वो ड्राइव्स, सीआरआरसी जेल्क एवं बीईएमएल जैसी कंपनियों ने भी शिरकत की थी।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com