September 22, 2024

पड़ताल-2: एससीईआरटी में अपर निदेशक पद पर खेल, दो साल से संबद्ध अधिकारी की ताजपोशी की तैयारी

देहरादून। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा में अभी हाल ही में संयुक्त निदेशक से अपर निदेशक पदों पर पदोन्नति तो हुई, लेकिन तैनाती आज तक नहीं हो पायी है। हालाँकि इनमे से अधिकतर अधिकारी पूर्व से ही अपर निदेशक के पद पर ही कार्यरत हैं, लेकिन मजेदार बात यह है कि एक ऐसा अधिकारी भी है जो पिछले लगभग दो वर्षों से एससीईआरटी से सम्बद्ध है जबकि इनकी वास्तविक तैनाती का पद मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार का है। जिससे साफ होता है कि यह अधिकारी कितना रोबदार है कि अब यह एससीईआरटी में अपर निदेशक पद पर तैनाती की जुगत लगा रहा है।

अब प्रश्न यह उठता है कि एक ओर तो सरकार यह कह रही है कि नवीन शिक्षा नीति को प्रदेश में जोर शोर से लागू किया जा रहा है और ऐसे में एक दागी अधिकारी को ईनाम स्वरूप राज्य के शीर्ष अकादमिक संस्था राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद का मुखिया बनाने की संस्तुति शासन स्तर से की गयी है । अभी हाल ही में गुणवत्ता शिक्षा के क्षेत्र में नीति आयोग के सर्वेक्षण में उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर चैथा स्थान प्राप्त हुआ है, ऐसे में एक ऐसे अधिकारी को गुणवत्ता के लिए जवाबदेह संस्थान की जिम्मेदारी देना, जिसे की विभाग पिछले दो वर्षों से विभाग कहीं भी तैनाती नहीं दे सका कहाँ तक उचित है ?

वैसे तो पहाड़ चढ़ने से इस अधिकारी ने हमेशा ही परहेज किया है और पिछले आठ दस वर्षों से तो एससीईआरटी, रामनगर बोर्ड और हरिद्वार में ही समय बिताया है । यह भी इनकी पहुँच का ही नतीजा है कि दण्ड स्वरूप मुख्य शिक्षा अधिकारी हरिद्वार से हटने के बावजूद खुद को महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा से सम्बद्ध होने के बजाय एससीईआरटी से सम्बद्ध करवाया और पिछले दो वर्षों से वेतन मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालय हरिद्वार से निकल रहा है और सम्बद्ध एससीईआरटी से हैं। अपनी पहुँच के चलते ही सेवा काल के दो महत्वपूर्ण वर्ष ऐसे ही देहरादून में अपर निदेशक एससीईआरटी बनने की आस में बिता दिए ।

चार महीने पहले दस्तावेज न्यूज पोर्ट पर “पड़ताल-1: अकादमिक-प्रशासनिक के खेल में पिसती उत्तराखण्ड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था” शीर्षक  नाम से खबर प्रकाशित की गयी थी। जिसमें बताया गया था कि एक अधिकारी कैसे अपनी पहुंच के कारण एससीआरटी में डटा हुुआ है और फिर उसी पद पर समायोजन की तैयारी में है। जिसके बाद आन-फाइनल में शिक्षा विभाग ने उक्त अधिकारी के समायोजन की फाइल बंद कर दी थी। इतना ही नही पूर्व भी कई बार इनकी फाइल एससीईआरटी के लिये शिक्षा मंत्री स्तर से शासन को वापस भेजी जा चुकी है। लेकिन शासन में बैठे कुछ अधिकारी हर बार इस अधिकारी की फाइल को शिक्षा मंत्री के अनुमोदन के लिये बैक डोर से भेज देते है।

पड़ताल-1: अकादमिक-प्रशासनिक के खेल में पिसती उत्तराखण्ड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था

उधर जब इस सबंध में दस्तावेज ने विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरिवंद पांडे से संर्पक करने की कोशिस की तो उनके आधिकारीक और व्यक्तिगत नंबर बंद थे। जबकि उनके मंत्रालय में तैनात अधिकारियों ने कहा कि वह इस संबंध में बयान देने के लिय अधिकृत नही है। लेकिन नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फाइल मंत्री जी के अनुमोदन के लिय आयी है। अभी मंत्री जी बाहर है उसके बाद ही साफ हो पायेगा कि वह इस पर कार्य कार्यवाही करते है। जबकि उन्होंने यह भी बताया कि दो बार उक्त अधिकारी की तैनाती की फाइल शासन को वापस भेजी जा चुकि है।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com