सेवानिवृत्त कुलपति की नेम प्लेट से लग रहा है कि राजभवन एवं शासन डॉ० पीपी ध्यानी को नया कार्यकाल देना चाहता है!
देहरादून। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के बाद अब श्रीदेवसुमन विश्वविद्यालय को कुलपति का इंतजार है। हरभजन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति अपना इस्तीफे देने से पहले विवि के कुलसचिव को अपना चार्ज सौंपे गये। लेकिन श्रीदेव सुमन विवि के निवर्तमान कुलपति पी०पी० ध्यानी का विवि के किसी भी प्रोफेसर या अधिकारी को बगैर चार्ज सौंपे कार्यभार छोड़ गये।
बीते 30 नवम्बर को निवर्तमान कुलपति पी०पी० ध्यानी का कार्यकाल पूरा हो चुका है। अब श्रीदेव सुमन विवि इस वक्त बगैर कुलपति के लिए चल रहा हैं। विवि के कर्मचारी और अफसरान एक-दूसरे को पूछ रहे हैं कि उनका कुलपति कौन हैं? उधर विवि में कुलपति के कार्यालय में ताला लटका हुआ है लेकिन कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी निर्वतमान कुलपति की नेम प्लेट टंगी हुई है। जो कई सवालों को जन्म दे रही है।
बाइस साल के इतिहास में ये पहला मामला
प्रदेश के बाइस साल के इतिहास में ये पहली मर्तबा है जब डबल इंजन की सरकार है और कोई विवि बिना कुलपति के संचालित हो रहा है। प्रो० पीपी ध्यानी का ये कारनामा डबल इंजन की सरकार पर करारा तमाचा है। उधर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ० धन सिंह रावत लगातार विभिन्न मंचों पर उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और दूसरे तरीके के कई दावे की बात कर रहे हैं। लेकिन उनके दावों से उलट शासन व राज्यपाल सचिवालय मंत्री के विभाग को आइना दिखा रहा है।
विवि अधिनियम का सीधा उल्लंघन
उत्तर प्रदेश उत्तराखंड विश्वविद्यालय अधिनियम 19 की धारा 497 में उल्लेख है कि किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति की नियुक्ति समय पर की जाएगी। नियमित नियुक्ति की व्यवस्था की जाती है। लेकिन इस अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
अभी भी चस्पा निवर्तमान कुलपति की नेमप्लेट
निवर्तमान कुलपति पीपी ध्यानी 30 नवंबर को अपना कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं। लेकिन तीन दिन बाद भी विश्वविद्यालय में चस्पा उनकी प्लेट यह साबित करती है कि कभी भी डॉ० ध्यानी की कुलपति के तौर पर वापसी हो सकती है। वहीं मौजूदा समय में उत्तराखंड श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। इस विवि से गढ़वाल मण्डल के सात जिलों के छात्र-छात्राएं जुड़े हुए हैं। कुलपति ना होने के चलते रोज निकलने वाली डिग्रियां व तमाम तरीके के गोपनीय कार्य प्रभावित हो गए है।
राजभवन साधे है चुप्पी
निवर्तमान कुलपति पीपी ध्यानी के कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही विश्वविद्यालय की ओर से राजभवन को इस संबंध में सूचना भेज दी गई थी। बावजूद इसके राजभवन की चुप्पी ने विश्वविद्यालयों में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इतना ही नहीं अपर सचिव कार्यालय से मिली सूचना से साफ हो गया है कि निवर्तमान कुलपति पीपी ध्यानी ने भी खुद की जान बचाने के लिए राजभवन व शासन को एक मेल भेज कर यह साफ कर दिया है कि उनका कार्यकाल 30 नवंबर को समाप्त हो गया है और अब वह विश्वविद्यालय के कुलपति नहीं है। इसके बावजूद भी शासन राजभवन की चुप्पी कई तरीके के सवाल खड़े करती है। खासकर तब जब खुद राज्यपाल विश्वविद्यालयों में पारदर्शी नियुक्ति एवं संवैधानिक प्रक्रिया के पालन का पाठ पढ़ाते हैं।