September 22, 2024

पत्रकारिता दिवस विशेष: ख़तरे में सूचना विभाग में रजिस्टर्ड न्यूज पोर्टलों की सूचीबद्धता

देहरादूनः उत्तराखंड में तथ्यहीन ख़बरों के लिए कुख्यात रहे न्यूज़ पोर्टलों पर बड़ी मार पड़ने वाली है। अनाप-सनाफ ख़बरों से सरकार को टारगेट करने वाले ये पोर्टल खुद अब टारगेट पर है। बड़ी बात यह है कि सरकार को बेवजह कटघरे में करने वाले ये न्यूज़ पोर्टल राज्य के सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग में सूचीबद्ध हैं और कई सारी सुविधाएं प्राप्त करते हैं। जिसमें मुख्य तौर पर सरकारी विज्ञापन है। लेकिन जल्द ही सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग इन सभी न्यूज़ पोर्टलों पर चाबुक चलाने वाला है। जिससे 130 न्यूज़ पोर्टलों की सूचीबद्धता सूचना एवं लोकसंर्पक विभाग से समाप्त हो जायेगी और उन्हें मिलने वाला विज्ञापन बंद हो जायेगा। इनमें अधिसंख्य वे न्यूज पोर्टल शामिल है जो सरकार के खिलाफ समय-समय पर दुस्प्रचार करने से नहीं चूकते। लेकिन इस प्रकरण से न्यूज पोर्टलों के स्वामियों की पेशानी पर बल जरूर पडेगा।

– फोटो:  सांकेतिक तस्वीर

उत्तराखंड में सूचना विभाग में सूचीबद्ध न्यूज़ पोर्टलों पर बड़ा संकट मंडराने वाला है। जल्द ही राज्य का सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग सूचीबद्ध सभी न्यूज पोर्टलों की सूचीबद्धता खत्म कर देगा। जिससे सूचीबद्ध न्यूज पोर्टलों को सूचना विभाग से मिलने वाली सभी सुविधाएं भी समाप्त हो जायेगी। खासकर विज्ञापन पर इसका सबसे बडा असर पडेगा। दरअसल यह संकट कोई राजनीतिक नहीं बल्कि कानूनी संकट है। जिसकी गिरफ्त में सभी सूचीबद्ध न्यूज़ पोर्टल आ रहे हैं। पिछले लंबे समय से अनाप-सनाफ ख़बरों के लिए कुख्यात रहे न्यूज़ पोर्टलों और तथ्यहीन खबरें प्रकाशित करने वाले मीडिया वेबसाइटों से तंग आकर प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है। सरकार ने न्यूज पोर्टलों के संचालन के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा। पत्र के जरिये राज्य सरकार ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कई बिंदुओं पर जानकारी मांगी। जिमसें में न्यूज वेबसाइटों की सूचीबद्धता से संबंधित कानूनी बाध्यता, विज्ञापन हेतु सूचीबद्धता व विज्ञापन दर तय आदि शामिल है।

उततराखंड सचिवालय स्थित गृह विभाग उत्तराखंड

राज्य के इस पत्र के जवाब में केंद्रीय सूचना एवं प्रचारण मंत्रालय ने दो-टूक कहा कि वेब पोर्टलों के लिए उसके पास वर्तमान में कोई ठोस नीति नहीं है। और न ही वह अपने स्तर से वेब पोर्टल को सूचीबद्ध करने के लिए कोई निर्देश जारी कर सकता है। लिहाजा राज्य सरकार स्वयं ही इस संबंद्ध में नीति निर्देश बना सकती है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जवाब से राज्य सरकार का सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग अब खुलकर न्यूज पोर्टलों पर नकेल कसने की तैयारी में है। खसकर ऐसे पोर्टल जो सरकार के खिलाफ बेवजह की खबरों को प्लांट कर सरकार की छवि धूमिल करने से बाज नहीं आते है। सूचना विभाग भले ही ऐसे न्यूज पोर्टलों पर कार्रवाही करेगा, लेकिन इसकी गाज उन पोर्टलों पर भी गिरनी तय है जो सरकार के एंटी नहीं है। गृह विभाग के पांत्रांक संख्या: 964/xxx(16) G/16-74 ( गृo) /2020 जो कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार को भेजा गया। जिस पत्र के अध्ययन करने से साफ होता है कि आने वाले दिनों में सरकार न्यूज पोर्ट को सूचना विभाग से असंबद्ध करने के लिए माध्य हो जायेगी।

लोकसंपर्क विभाग के एक अधिकारी की माने तो विभाग ने विज्ञापन हेतु सूचीबद्धता संबंधित नियमावली 2015, संसोधित नियम/परिनियम एवं संसोधित नियमावली निविदा के आधार पर वर्तमान में प्रदेशभर में तकरीबन 130 न्यूज पोर्टलों को तीनों श्रेणियों में सूचीबद्ध किये हैं

राज्य के गृह विभाग के हस्तक्षेप से रडार पर आये न्यूज पोर्टल

उत्तराखंड के गृह मंत्रालय के हस्तक्षेप से अब इन सभी पोर्टलों की सूचीबद्धता खत्म की जायेगी। प्रदेश की सुरक्षा और भ्रमक समाचारों को रोकने के लिए सरकार द्वारा गृहमंत्रालय को निर्देश दिये गये थे। जिसके बाद गृह मंत्रालय ने सोशियल मीडिया पर लंबे समय तक नज़र भी रखी और अंत में गृह मंत्रालय ने इन पोर्टलों की तथ्यहीन खबरों से तंग आकर केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय से गाइड लाइन मांगी थी। जिस पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि उसके पास ऐसी कोई गाइड लाइन नहीं है।

गृहमंत्रालय ने पाया कि भ्रम फैलाने वाले अधिकांश न्यूज पोर्टल सूचना विभाग में सूचीबद्ध है। सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग में तैनात संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी ने भी दबी जुबान में बताया कि उनको राज्य के गृह विभाग का पत्र प्राप्त हुआ है। लेकिन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का पत्र अभी प्राप्त नही हुआ है। जिससे अभी आधिकारिक रूप से कुछ कहना जल्द बाजी होगी।

उधर गृह मंत्रालय के डंडे के बाद सूचना विभाग भी बैकफुट पर नजर आ रहा है। जिससे साफ है कि उत्तराखंड सूचना एवं लोकसंर्पक विभाग इस संबंध में कार्यवाही करने से कतई भी गुरेज नहीं करेगा। ‘दस्तावेज’ को नाम न बताने की शर्त पर राज्य के गृह मंत्रालय में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वेब पोर्टलों को लेकर जो स्थिति बन रही है। वह काफी चिन्ता जनक है। उन्होंने बताया कि गोपन द्वारा पुलिस महानिदेशक व अन्य संबंधित विभागों को भी महत्वपूर्ण जानकारी भेजी गयी है। साथ ही राज्य के सूचना एवं लोकसंर्प विभाग को भारत सरकार के अनुरूप न्यूज पोर्टल को सूचीबद्ध के लिए निर्देश जारी किये गये है। उक्त अधिकारी ने बताया कि पिछले लंबे समय से कतिपय समाचारों के कारण गृह मंत्रालय को कफी कठिनाइयों का सामना करना पडा। जिसकों ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार से निर्देश मांगे। ‘दस्तावेज न्यूज पोर्टल’ के हाथ लगे पत्रों से साफ होता है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जल्द ही राज्य में भारत सरकार के नियम को लागू कर न्यूज पोर्टलों की सूचीबद्धता खत्म कर देगा।

आइए जानते हैं क्या हैं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की कुछ शर्तें

  • विज्ञापन उन्हीं को दिया जाएगा जो वेबमीडिया और पोर्टल कम से कम 3 साल से चल रहे हों।
  • ऐसे वेबसाइट और पोर्टल जिनके विज्ञापन दर का निर्धारण केंद्र सरकार के डी.ए.वी.पी. से किया गया हो।
  • वेबमीडिया और पोर्टल राज्य के जनसंपर्क विभाग में रजिस्टर्ड होना चाहिए।
  • विज्ञापन मान्यता के आवेदन के लिए वेबसाइट-पोर्टल को अपना रजिस्ट्रेशन सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय में कराना होगा।
  • विज्ञापन वितरण के उद्देश्य से वेब माध्यमों को 3 कैटगरी में बांटा जाएगा।
  • सरकारी विज्ञापन उसी वेबसाइट और पोर्टल को दिया जाएगा, जिसके पास हर महीने कम से कम ढाई लाख हिट (HIT) आते हों।
    हिट्स की गणना के लिए पिछले 6 महीने का रिकार्ड देखा जाएगा।
  • इसके लिए भारत में वेबसाइट ट्रैफिक माॅनीटरिंग करने वाली कंपनी के रिकार्ड मान्य होंगे।


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