September 21, 2024

केदारनाथः अतिक्रमण हटाओ अभियान की आग में झुलसते लोग

मनोज रावत

अतिक्रमण हटाओ अभियान की आग में झुलसते लोगों से मिलने पर हर दिन नया अनुभव मिल रहा है। कल शाम अगस्त्यमुनि गए तो आशंकित लोगों ने अपना दर्द सुनाया कि, जब वे वर्तमान विधायक जी के पास गए तो उन्होंने सबको बुरी तरह लताड़ा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आगे मैं क्या कर सकती हूँ ?

सच तो ये है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट का कोई हाथ नहीं है। ये मामला उच्च न्यायालय नैनीताल ने एक किसी प्रभात गांधी की 19.07.2023 की चिट्ठी पर स्वतः संज्ञान के रूप में लिया है (WPPIL No. 117 of 2023 ) जो उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश Sri Vipin Sanghi, C.J. और Sri Rakesh Thapliyal, J.की डबल बेंच में सुना जा रहा है। ये अंतिम निर्णय भी नहीं है। माननीय न्यायालय आर्डर के बिंदु 5 में स्वयं कह रहा है कि, We would not like to jump to any conclusion, but the possibility of the officers on the ground belonging to the aforesaid departments, being in hand in gloves with such encroachers, cannot be ruled out.

अब दूसरा बिंदु वे याने विधायक और सरकार क्या कर सकती हैं ?

सरकार जनता के हितों और कानून का पालन कराने के लिए ही बनती है। उनकी पार्टी इस प्रदेश में सरकार चला रही है । कोर्ट के सामने जनता का पक्ष और हालातों को रखना सरकार का ही काम है। सरकार और उन्हें ये भी बताना चाहिए कि उनके काबिल वकीलों ने इस मामले में जनता का क्या पक्ष रखा ?

उनके अधिकारी यदि उच्च न्यायालय के लिए JCB से तोड़ते मकानों और दुकानों की वीडियो बना सकते हैं तो उच्च न्यायालय को ये कौन बताएगा कि अगस्त्यमुनि कस्बा बरसात के बेरहमी की मार से हर और से अपने से लगे गांवों से से कटा है और इस बरसात में जिले में भूस्खलन के कारण 25 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
वे और सरकार क्या कर सकती हैं?

पुरानी कहावत है राजा-रानी (याने सरकार ) क्या कुछ नहीं कर सकती ? आप तो नाम और मिजाज दोनों से रानी हैं।

माननीय विधायक जी सरकार सब कुछ कर सकती है। जब आपकी सरकार देहरादून में रिस्पना नदी के अतिक्रमणकारियों (जिनमें प्रभात गांधी की तरह कोई भी उत्तराखंड मूल का नही होगा) को हटाने के लिए उनकी पार्टी की सरकार पहले अद्यादेश लाती है और फिर उसे विधानसभा द्वारा कानून का रूप दे सकती है तो उत्तराखंड के इन मूल निवासियों के अधिकारों के कानूनी रूप क्यों नहीं दे सकती है?

हमारा माननीय विधायक जी से आग्रह है कि, वे अपनी प्रचंड बहुमत की सरकार पर कोर्ट में इन मूल निवासियों की पैरवी करने को दबाव बनाएं और जनता का पक्ष और परिस्थितियों को सही तथ्यों के साथ रखने के कहें। जो मेरी नजर में अभी तक नही रखा गया है। दूसरा जरूरत पड़े तो कानून बनाएं या उनमें संशोधन करें।
वे चाहें तो अगले हफ्ते होने वाले विधानसभा सत्र में अतिक्रमण के नाम पर बरबाद की जा रही जनता का दर्द बयां करने के लिए रौद्र रूप रख सकती हैं।

केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के फेसबुक पेज से साभार


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com