September 22, 2024

केरल के स्कूल में ‘सर’ और ‘मैडम’ कहने की प्रथा पर लगी रोक, अब शिक्षकों को केवल ‘टीचर’ कहेंगे छात्र, जानिए क्या है वजह?

केरल के पलक्कड़ जिले के एक स्कूल ने अपने छात्रों से शिक्षकों को ‘सर’ या ‘मैडम’ कहने के बजाय ‘टीचर’ कहने को कहा है. पलक्कड़ जिले के ओलास्सेरी गांव में स्थित सरकारी सहायता प्राप्त सीनियर बेसिक स्कूल जेंडर इक्वलिटी लाने वाला राज्य का पहला स्कूल बन गया है. स्कूल में छात्रों की संख्या 300 है. यहां 9 महिला शिक्षक और आठ पुरुष शिक्षक हैं. स्कूल के प्रधानाध्यापक वेणुगोपालन एच के मुताबिक, ऐसा करने का विचार सबसे पहले एक पुरुष स्टाफ सदस्य को आया था.

उन्होंने कहा, ‘हमारे स्टाफ सदस्यों में से एक संजीव कुमार वी. ने पुरुष शिक्षकों को ‘सर’ कहने की पुरानी प्रथा को खत्म करने का विचार सामने पेश किया. वह पलक्कड़ स्थित सामाजिक कार्यकर्ता बोबन मट्टुमंथा द्वारा शुरू किए गए एक ऐसे ही अभियान से प्रेरित थे.’ बोबन मट्टुमंथा ने सरकारी अधिकारियों को सर या मैडम के रूप में संबोधित करने की प्रथा को दूर करने के लिए सरकार से संपर्क किया था. मट्टुमंथा ने कहा कि स्कूलों में भी इसी तरह के बदलाव होने चाहिए.

जेंडर इक्वलिटी लाने की कोशिश

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानाध्यापक ने कहा कि इसी तरह के बदलाव स्कूल से दूर एक पंचायत द्वारा भी किए जा रहे हैं. माथुर पंचायत  ने पिछले साल जुलाई में सर और मैडम की प्रथा को खत्म करने का फैसला लिया था. इस गवर्निंग बॉडी ने पंचायत कर्मचारियों को उनके पदनाम (Designation) से संबोधित करने का निर्देश दिया था. वेणुगोपालन ने कहा कि पंचायत के फैसले ने भी स्कूल को काफी प्रभावित किया.

उन्होंने कहा, ‘हमने सोचा कि क्यों न हम टीचर्स को संबोधित करने में जेंडर इक्वलिटी लाने की कोशिश करें और स्कूल में बदलाव लाए. इस कदम का अभिभावकों ने भी स्वागत किया है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने छात्रों से कहा है कि वे सभी शिक्षकों पुरुष और महिला दोनों को ‘टीचर’ कहकर संबोधित करें. पहले इस कदम का काफी विरोध हुआ हालांकि धीरे-धीरे छात्रों ने शिक्षकों को ‘टीचर’ कहना शुरू कर दिया. अब कोई भी छात्र पुरुष शिक्षक को सर या महिला को मैडम कहकर नहीं पुकारता.’

औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है ‘सर’ शब्द

प्रधानाध्यापक ने कहा कि ‘सर’ और ‘मैडम’ शब्द जेंडर इक्वलिटी के खिलाफ हैं. शिक्षकों को उनके पदनाम से संबोधित किया जाना चाहिए, न कि उनके जेंडर से. शिक्षकों को संबोधित करने का नया तरीका छात्रों में जेंडर इक्वलिटी को लेकर जागरूकता लाने में मदद करेगा. ‘सर’ शब्द औपनिवेशिक काल की याद दिलाता है, इसलिए इस प्रथा को दूर किया जाना चाहिए.


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