किसान आंदोलन: सरकार और किसान संगठनों के बीच होने वाली बातचीत पर सस्पेंस बरकरार
किसान और सरकार की बातचीत में सिर्फ 24 घंटे बाकी हैं, लेकिन किसानों के प्रस्ताव का अभी तक सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। सरकार के बातचीत के लिए किसानों की तरफ से 29 दिसंबर का प्रस्ताव दिया था, जिस पर सरकार को फैसला लेना है।
किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़ गए हैं। किसान आंदोलन का आज 33वां दिन है, लेकिन अब तक कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा है। किसानों ने शर्तों के साथ सरकार से बात करने का प्रस्ताव रखा है, जिसका आज सरकार जवाब दे सकती है।
किसानों ने मंगलवार 11 बजे मीटिंग करने का वक्त दिया हैं, जिसमें उन्होंने 4 शर्तें भी रखीं। किसानों की चिट्ठी पर सरकार आज जवाब दे सकती है।
किसानों की 4 शर्तें:
1. तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
2. मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
3.पराली जलाने की सजा किसानों पर लागू न हों।
4. बिजली बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
सामना में मोदी सरकार पर बड़ा हमला
शिवसेना के मुखपत्र सामना में किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए लिखा कि कड़कड़ाती ठंड में किसानों का ये आक्रोश लोकतंत्र की आवाज़ नहीं है क्या ? राहुल गांधी की जो बात मोदी को चुभ गई वो ये कि देश में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है। प्रधानमंत्री के विरोध में बोलने वालों को आतंकवादी साबित किया जा रहा है। मोदी सरकार ने दिल्ली की सीमा पर डटे किसानों को आतंकवादी साबित किया है, उनसे चर्चा करने को तैयार नहीं हैं। सच कहें तो हमारे प्रधानमंत्री को किसानों के ज़ख्म और उपचार दोनों पता है, लेकिन मोदी का तरीका ये है कि पेट दर्द होने पर प्लास्टर पैर में लगाते हैं।