किसानों का आंदोलन 114वें दिन भी जारी, 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा का भारत बंद
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 112वां दिन है। लेकिन इस गतिरोध का अबतक कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं वहीं सरकार भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान अड़े हैं, हालांकि उनकी तादाद अब काफी कम हो गई है।
अपने आंदोलन को फिर से तेज करने और धार देने आंदोलनकारी किसान लगातार नई रणनीति पर मंथन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अपने साथ ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए किसान संगठनों के बड़े नेता लगातार पंचायत और महापंचायत कर रहे हैं।
इन सबके बीच किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है। भारत बंद के दौरान देश की सभी दुकानें और अन्य व्यापारिक संस्थान 12 घंटे तक बंद कराए जाएंगे। इसके बाद 28 मार्च को होलिका दहन के दौरान तीनों कृषि कानूनों की कॉपियां जलाई जाएंगी। इस संबंध में बुधवार को कुंडली बॉर्डर और शंभू बॉर्डर पर किसान नेताओं व कुछ अन्य संगठनों की बैठक हुई। जिसमें रणनीति बनाने के साथ ही किसानों की ड्यूटी भी लगाई गई।
इसके साथ ही अपील की जा रही है कि बंद शांतिपूर्ण तरीके से होगा। इसमें किसी तरह से कोई माहौल बिगाड़ने का प्रयास करेगा तो उसे किसान खुद ही पुलिस के हवाले कर देंगे। इस बीच जींद के कंडेला गांव में महिला पंचायत हुई। वहीं खटकड़ टोल से किसानों का पैदल जत्था दिल्ली के लिए रवाना हुआ। यह जत्था 23 मार्च को भगत सिंह के शहीदी दिवस पर दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर पहुंचेगा।
गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 12 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।