किसान आंदोलन का 48वां दिन, 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली को लेकर केंद्र ने SC में दाखिल की अर्जी
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 48वां दिन है। हड्डियां गला देने वाली ठंड और बारिश के बीच डटे किसान किसी कीमत पर अपनी मांगें बिना मनवाए वापस जाने के मूड में नहीं हैं। वहीं कृषि कानून और किसान आंदोलन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकती है। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन ने सोमवार को सुनवाई के दौरान इस बात का संकेत दिए थे कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुना सकता है।
इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी सूचना दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन को लेकर अलग-अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है। वहीं क्रेंद सरकार ने इस पूरे मामले पर प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने एक अर्जी भी डाली है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे।
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के रवैये से वो है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कानून आप होल्ड करेंगे या फिर हम करें। कोर्ट ने पूछा कि क्या यह नया कृषि कानून कुछ दिन के लिए होल्ड नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमें नहीं पता है कि किसानों और सरकार के बीच क्या बातचीत चल रही है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को किसान संगठन और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अब अगले दौर की बैठक के 15 जनवरी को होगी। बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, कानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। सरकार ने आग्रह किया कि यदि किसान कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, तो हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं किया जा सका, इसलिए बैठक संपन्न हुई और 15 जनवरी को अगली बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।