किसानों के आंदोलन का 98वां दिन, संयुक्त किसान मोर्चा का चुनावी राज्यों में बीजेपी के विरोध का ऐलान
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 98 वां दिन है। पिछले तीन महीन से अधिक समय जारी इस गतिरोध का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। एक तरफ किसान जहां अपनी मांगों पर डटे हैं वहीं सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। आंदोलनकारी किसानों ने एकबार फिर अपने आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया है। अपने साथ ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए किसान नेता लगातार पंचायत और महापंचायत कर रहे हैं।
इस बीच दिल्ली में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि बीजेपी को हराने की अपील करने के लिए एसकेएम उन राज्यों में अपने नेताओं को भेजेगा, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। आंदोलनरत किसान छह मार्च को केएमपी (वेस्टर्न पेरिफेरल) एक्सप्रेस वे को भी अवरुद्ध करेंगे। गौरतलब है कि उस दिन किसान आंदोलन को सौ दिन पूरे हो जाएंगे।
एसकेएम नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि छह मार्च को 11 बजे से पांच घंटे के लिए एक्सप्रेसवे पर विभिन्न जगहों को अवरुद्ध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसकेएम नेता कोलकाता में 12 मार्च को एक जनसभा करेंगे, जिसमें बीजेपी को हराने की अपील की जाएगी। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि एसकेएम की टीमें बीजेपी को हराने की अपील करने के लिए पश्चिम बंगाल और केरल समेत उन राज्यों में जाएंगी, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के एकबार फिर से बातचीत का न्योता दिया दिया था। उन्होंने कहा कि भीड़ एकत्र करने से कानून नहीं बदलते। उन्होंने कहा कि किसान यूनियन बताएं कि इन कानूनों में किसानों के खिलाफ क्या है और सरकार उसमें संशोधन करने को तैयार हैं। वहीं किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है।
आपको बता दें कि खुद प्रधानमंत्री मोदी किसानों से कृषि कानून पर चर्चा और इसमें बदलाव की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी मंडियों पर भी कोई पाबंदी नहीं है। इतना ही नहीं इस बजट में इन मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए और बजट की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री का कहना है कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ। ये सच्चाई है। इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी पर खरीद भी बढ़ी है। उन्होंने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की, ‘आइये, बातचीत की टेबल पर बैठकर चर्चा करें और समाधान निकालें।’
कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 12 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।
गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।