किसान आंदोलन का 23वां दिन, कृषि मंत्री ने किसानों को लिखी खुली चिट्ठी, पीएम मोदी ने कही यह बात
गिरते पारे और कोरोना के खतरे के बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 23वां दिन है। लेकिन इस मसले का अबतक कोई हल होता नहीं दिख रहा है। किसानों और सरकार के बीच लगातार गतिरोध बरकरार है। ना किसान हट नहीं रहे और न ही सरकार झुक रही है। आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर बड़ी तादाद में किसान 26 नवंबर से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं। किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई नाकों पर डटे हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ तकरीबन तीन सप्ताह से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं और धरना- प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से समाधान निकालने की कवायद के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने देश के किसानों को खुली चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने याद दिलाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार हमेशा किसानों के हित में काम करती रही है। आज भी आंदोलित किसानों को भरोसा दिलाने के लिए हर संशोधन करने के लिए तैयार है। तोमर ने कहा, मैं भी किसान परिवार से आता हूं। खेत में पानी देने के लिए देर रात जागना, असमय बारिश का डर और फसल कटने के बाद उसे बेचने के लिए हफ्तों का इंतजार सब देखा है। आठ पेज लंबे पत्र में कृषि मंत्री ने बताया कि आपके सुझावों पर ही ऐतिहासिक कृषि सुधार के कानून लाए गए हैं। इसके बाद भी आपको भ्रमित करने वाले कम नहीं हैं। इनसे होशियार रहने की जरूरत है। आपकी चिंताओं को दूर करना हमारा दायित्व है।
कृषि मंत्री के पत्र लिखने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
आपको बता दें कि इससे पहले गुरुवार को कृषि कानूनों के संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगी। न्यायालय ने कहा कि प्रदर्शन करना किसानों का हक है, लेकिन इस तरह शहर को ब्लॉक नहीं किया जा सकता है, इस तरह रास्ते नहीं रोके जा सकते हैं।
गौरतलब है कि सरकार और किसानों के बीच इस मसले को सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अबतक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। सरकार जहां कृषि कानून में संशोधन की बात कर रही है, वहीं किसान कानून को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने सरकार को अपने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।
सराकार से कई दौर की वार्ता के बाद भी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस किए जाने पर मांग पर अड़े हुए हैं। हालांकि इस बीच किसान संगठनों का कहना है कि सरकार से बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन कानूनों वापसी के अलावा उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।