नए साल के जश्न से दूर आंदोलनकारी किसान, इस साल में खत्म होगा आंदोलन ?
साल 2021 में भी कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। नए साल के मौके पर आंदोलनकारी किसान जश्न से दूर हैं। किसानों का कहना है कि जबतक सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती तबतक वो नया साल का जश्न नहीं मनाएंगे। इन लोगों का कहना है कि जिस दिन उनका आंदोलन खत्म होगा उसी दिन वो नए साल का जश्न मनाएंगे। किसानों के आंदोलन का 37वां दिन है। इस मसले को सुलझाने के लिए अबतक सात दौर की बैठक हो चुकी है। लेकिन सरकार और किसानों के बीच अबतक पूर्ण सहमति नहीं बन पाई है।
अबतक सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की बैठक 4 जनवरी को होगी। उम्मीद है कि उस बैठक में दोनों पक्षों के बीच इस विवाद को लेकर कोई निर्णायक फैसला हो जाएगा। इस बीच आज किसान संगठनों के नेता दोपहर दो बचे अहम बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में चार जनवरी को सरकार के साथ होने वाले बैठक पर मंथन होगा। सिंघु बॉर्डर होने वाले इस बैठक में 80 किसान संगठनों के बड़े नेता शामिल होंगे।
आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक सात दौर की बातचीत हो चुके हैं लेकिन तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें संशोधन करने की बात कह रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।
हालांकि सातवें दौर की बैठक में काफी सार्थक रही। किसानों का कहना था कि बुधवार को हुई बातचीत में सरकार ने बिजली बिल में बढ़ोतरी और पराली जलाने पर जुर्माना लगाने से जुड़ी चिंताओं का निदान करने का भरोसा दिया है, लेकिन यह जश्न मनाने के लिए काफी नहीं है। किसानों का कहना है कि जबतक सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती, तब तक उनके के लिए कोई नया साल नहीं है।