क्यों धोना पड़ा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा सदस्यता से हाथ ? जानें आखिर क्या है पूरा मामला
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने की विधासभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. इस मामले को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यपाल रमेश बैस को पत्र भेजा है. चुनाव आयोग ने ये सिफारिश सीएम सोरेन के एक खनन लीज अपने नाम करवाने के मामले में की है.
वहीं, राज्यपाल रमेश बैस अभी दिल्ली में हैं और वो दोपहर 12 बजे रांची के लिए निकल चुके हैं. उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल का होता है. दरअसल, सीएम सोरेन पर लाभ के पद पर होने के आरोप लगे थे. बीजेपी ने सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी. इस मामले में 18 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई थी. अब चुनाव आयोग ने अपनी राय राज्यपाल को भेजी है.
इन मामलों में फंसे सोरेन
- आरटीआई एक्टिविस्ट शिव शर्मा ने दो PIL दायर की.
- CBI और ED से माइनिंग घोटाले की जांच कराने की मांग की.
- मामला सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज और शेल कंपनियों में उनके और उनके करीबियों की हिस्सेदारी से जुड़ा है.
- आरोप है कि सीएम हेमंत ने अपने पद का दुरुपयोग कर स्टोन क्यूएरी माइंस अपने नाम आवंटित करवा लीं.
- सोरेन परिवार पर शैल कंपनी में इन्वेस्ट कर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने भी सुनवाई की.
- दोनों ने जनप्रतिनिधि अधिनियम-1951 की धारा 9A के तहत लाभ का पद से जुड़े नियमों के उल्लंघन को लेकर सुनवाई की थी.
- अब ये सुनवाई पूरी हो चुकी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है.
क्या है मामला?
हेमंत सोरेन पर झारखंड के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए खनन पट्टा खुद के और अपने भाई को जारी करने का आरोप लगा है. गौरतलब है कि उस वक्त हेमंत सोरेन के पास खनन मंत्रालय भी हुआ करता था. ईडी ने हाल ही में खनन सचिव पूजा सिंघल को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था, पूजा ने ही खनन का लाइसेंस जारी किया था.