कोलकाता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ न्यायाधीश के कथित संबंधों को लेकर अपनी चुनावी याचिका से न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को हटाने की मांग के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि पैसे को दो सप्ताह के भीतर बार काउंसिल ऑफ वेस्ट बंगाल में जमा करना होगा और इसका उपयोग उन वकीलों के परिवारों के लिए किया जाएगा, जिन्होंने कोविड-19 के कारण दम तोड़ दिया है।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो की अर्जी खुद जस्टिस चंदा ने खारिज कर दी थी। हालांकि, उन्होंने अपने व्यक्तिगत विवेक पर मामले की और सुनवाई नहीं करने का फैसला किया है और सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।
ममता ने 2021 के विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा नेता शुवेंदु अधिकारी के चुनाव को चुनौती दी गई थी।। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले की सुनवाई से न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को हटाने की मांग भी की थी।
आज सुबह सुनाए गए आदेश में न्यायमूर्ति चंदा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का राजनीतिक झुकाव होता है और यह सोचना बेमानी है कि एक न्यायाधीश बिना वैराग्य की भावना के अपना कर्तव्य नहीं कर पाएगा।उन्होंने कहा, ”किसी भी व्यक्तिगत नागरिक की तरह एक न्यायाधीश भी अपने मतदान अधिकारों का प्रयोग करता है और राजनीतिक झुकाव रखता है। किसी जज का राजनीतिक से पुराना जुड़ाव पूर्वाग्रह की आशंका नहीं हो सकता। इस तरह के तर्क को स्वीकार करने से बेंच हंटिंग होगी।”
बनर्जी ने न्यायमूर्ति चंदा को इस आधार पर मामले से अलग करने की मांग की थी कि वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने से पहले भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। न्यायमूर्ति चंदा ने बेंच में पदोन्नत होने से पहले भाजपा सरकार के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया था।
बनर्जी ने सबसे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (सीजे) राजेश बिंदल को पत्र लिखकर अपने मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपने की मांग की थी। जब 24 जून को सुनवाई के लिए आवेदन आया, तो न्यायमूर्ति चंदा ने पार्टी के साथ अपने करीबी संबंध को स्वीकार किया। हालांकि, उन्होंने पूछा कि जब 18 जून को पहली बार याचिका उनके सामने आई तो न्यायिक पक्ष में उनके सामने यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया।