कोरोना की तीसरी लहर में शहरों से गांवों की तरफ भागने लगे मजदूर? पढ़िए सरकार ने क्या दिया जवाब
मीडिया के कुछ धड़े में ऐसी खबर है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के चलते आई तीसरी लहर ने श्रमिकों को पलायन के लिए मजबूर किया है. खबरों में कहा जा रहा है कि मजदूर शहरों से अपने-अपने गांव की तरफ चल पड़े हैं. हालांकि सरकार ने ऐसी मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया है और कहा है कि अभी ऐसी कोई घटना नहीं देखी जा रही. सरकार के मुताबिक ऐसी मीडिया रिपोर्ट ‘झूठी’ और मनगढ़ंत हैं. केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना की स्थिति पर केंद्र और प्रदेश सरकारें नजर बनाई हुई हैं और किसी भी विपरीत हालात से निपटने की तैयारी पूरी है.
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, कुछ मीडिया रिपोर्ट में कोरोना के चलते प्रवासी मजदूरों के शहरों से गांवों की तरफ लौटने की बात कही गई है. यह बात गलत पाई गई है और ऐसा देखा गया कि इस तरह की खबरों में पुरानी तस्वीरें इस्तेमाल की गई हैं. दरअसल, पिछली लहर में, खासकर 2020 की पहली लहर में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर शहरों से गांवों की चल पड़े थे. लॉकडाउन के चलते कई मजदूर पैदल ही घरों के लिए निकल गए. इस दौरान कुछ हादसे भी हुए कई दर्दनाक घटनाएं सामने आईं. इससे केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों की बहुत किरकिरी हुई थी.
केंद्र सरकार की तैयारी
श्रम मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से उपजी स्थिति का जायजा लेने और उसके आकलन के लिए श्रम सचिव ने 12 जनवरी को राज्यों के साथ बैठक की है. यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. बैठक में श्रमिकों की स्थिति का जायजा लिया गया और भावी तैयारियों के बारे में जानकारी जुटाई गई. बैठक में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, राज्यों के श्रम सचिव, सभी राज्यों के श्रम आयुक्त, रेल मंत्रालय के अधिकारी और खाद्य और पीडीएस के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
फैक्ट्री, निर्माण कार्य बंद नहीं
राज्य सरकारों ने बताया है कि नाइट कर्फ्यू और वीकेंड कर्फ्यू के अलावा किसी राज्य में प्रतिबंध नहीं है. ऐसे कदम भी इसलिए उठाने पड़े क्योंकि कोरोना के केस लगातार बढ़ रहे हैं. निर्माण कार्य पर कोई रोक नहीं है, व्यावसायिक गतिविधियां पहले की तरह चल रही हैं, दुकानें खुल रही हैं और औद्योगिक गतिविधियां भी सामान्य दिनों की तरह जारी हैं. ऐसे में मजदूरों के गांव लौटने का सवाल नहीं है. अभी सीमित स्तर पर पाबंदियां लगाई गई हैं, इसलिए श्रमिक अपने घरों को नहीं लौटेंगे. देश के कुछ हिस्सों में दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ काम हो रहा है, इसके अलावा बिजनेस पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है.
राज्य सरकारों की तैयारी
श्रम मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, केंद्र और राज्य सरकारें किसी भी मुश्किल हालात से निपटने के लिए तैयार हैं. कुछ राज्य सरकारों ने श्रमिकों की भलाई के लिए पहले से प्लान तैयार कर लिए हैं और स्थिति को देखते हुए जरूरतमंद मजदूरों को सूखा राशन बांटा जा सकता है. कुछ राज्य सरकारों ने बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन मजदूरों के लिए वित्तीय सहायता देने की योजना बनाई है. इसके लिए राज्य सरकारों के पास सेस फंड और सामाजिक सुरक्षा फंड का इंतजाम किया गया है.
रेलवे भी तत्पर
इस दिशा में रेलवे भी गंभीर नजर बनाए हुए है. देश के भीड़-भाड़ वाले या अति व्यस्त स्टेशनों पर तैयारी पूरी है. इन स्टेशनों में मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, सिकंदराबाद आदि के नाम हैं. अगर स्थित बिगड़ती है तो इन व्यस्त स्टेशनों से श्रमिकों की घर वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जाएगी. सभी राज्य और संघ शासित प्रदेशों को कहा गया है कि स्थिति अंत में न बिगड़े, इसके लिए स्थानीय रेल अधिकारियों से संपर्क बनाए रखने पर जोर दिया गया. प्रवासी मजदूर कंस्ट्रक्शन साइट, फैक्ट्री आदि में बड़े पैमाने पर काम करते हैं और इन जगहों पर अभी कोई पाबंदी नहीं है.