September 22, 2024

लखीमपुर खीरी हिंसा: सही दिशा में जांच का दावा कर रहा प्रशासन, फिर क्यों उठ रहे सवाल?

पिछले पांच दिनों से यूपी के लखीमपुर खीरी की चर्चा पूरे देश में हो रही है. लोग जानना चाहते हैं कि आखिर 8 लोगों की मौत का गुनहगार कौन है? 4 किसानों को कुचलने वाली कार कौन चला रहा था? और यूपी में सियासी बवाल इस बात को लेकर मच रहा है कि आखिर, इस केस के नामजद आरोपी की गिरफ्तारी कब होगी?

इस बीच आज देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा की सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से FIR, आरोपी और गिरफ्तारी को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी. इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि दो वकीलों ने दो दिन पहले एक लेटर लिखा था. इनमें से एक शिव कुमार त्रिपाठी थे. हमने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इसे PIL के रूप में रजिस्टर करें लेकिन गलतफहमी के कारण ये स्वत: संज्ञान हो गया.इसलिए आज इसपर सुनवाई हुई.अब आपको दिखाते हैं कि चीफ जस्टिस की बेंच में सुनवाई के मेन प्वाइंट्स क्या थे.

सुनवाई के मेन प्वाइंट्स

चीफ जस्टिस ने अर्जी देने वाले वकील से पूछा- आप कैसी राहत चाहते हैं? इस पर शिवकुमार त्रिपाठी ने कहा- आप कृपया गृह मंत्रालय और राज्य को घटना की जांच करने का निर्देश दीजिए. आगे असिस्टेंट एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा- SIT और न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है. FIR दर्ज की गई है. इस पर CJI ने कहा- शिकायत ये है कि आप इस मामले को ठीक से नहीं देख रहे हैं और FIR उचित तरह से दर्ज नहीं की गई.आयोग की डिटेल क्या है?

असिस्टेंट एडवोकेट जनरल ने कहा इसका नेतृत्व एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज कर रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा- हाईकोर्ट के सामने पेंडिंग PIL का क्या स्टेटस है. गरिमा प्रसाद ने कहा- मैं डिटेल हासिल कर कल पेश कर सकती हूं. CJI ने कहा- कल बताएं कि हाईकोर्ट में क्या हुआ?

चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान वकील अमृतपाल से मिले मैसेज को भी पढ़ा. जिसमें लिखा था- मारे गए लवप्रीत सिंह की मां क्रिटिकल है. इसके बाद जस्टिस सूर्य कांत ने कहा- उन्हें पास के अस्पताल में एडमिट कराइए. हमें कल इसकी जानकारी दीजिए. आगे कल यानी 8 अक्टूबर को इस मामले पर फिर सुनवाई होगी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जिस न्यायिक आयोग की बात कही गई उस एक सदस्यीय आयोग के गठन का आदेश यूपी की गवर्नर आनंदी बेन पटेल ने दिया. इस आदेश के तहत हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार लखीमपुर मामले की न्यायिक जांच करेंगे और दो महीने में रिपोर्ट सौपेंगे. लखनऊ कांड को लेकर आज एक और बड़ी ख़बर आई..

फॉरेंसिक टीम को मिले 2 जिंदा कारतूस

मौका-ए-वारदात से फॉरेंसिक टीम को 2 जिंदा कारतूस मिले. बताया जाता है कि कि जली हुई थार जीप के पास 315 बोर के दो कारतूस मिले. मतलब हिंसा के पांचवें दिन पुलिस को फिजिकल एविडेंस मिल रहे हैं. आईजी लक्ष्मी सिंह भी कह रहे हैं कि जांच के दौरान सबूत जुटाए जा रहे हैं. दो आरोपियों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है.नामजद आरोपी आशीष मिश्रा को भी पूछताछ के लिए समन भेजा गया है.

लखीमपुर खीरी केस में शासन प्रशासन लगातार सही दिशा में जांच का दावा कर रहे हैं. लेकिन कई राजनीतिक पार्टियों को इन पर भरोसा नहीं हो रहा है. इसलिए यूपी से लेकर कई राज्यों में इस मुद्दे को लेकर महाभारत मची है.
पांच दिन बीत गए लेकिन ये पता नहीं चल पाया कि 3 अक्टूबर को तिकुनिया में खूनी गाड़ी किसने दौड़ाई? गाड़ी में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा बैठा था या नहीं? सवाल ये भी क्या किसानों के ऊपर जानबूझकर गाड़ी चढ़ाई गई?

बहरहाल लखीमपुर कांड को लेकर जो वीडियो आ रहे हैं. वो इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि किसानों पर जबरन गाड़ी चढाई गई. और ये नया वीडियो भी इस थ्योरी को मजबूती दे रहा है.

एकबारगी देखने में ये वीडियो वैसा ही लगता है.जैसा तीन दिन पहले से वायरल था. लेकिन 46 सेकंड का ये वीडियो अलहदा. इसमें घटनाक्रम ज्यादा साफ नजर आ रहा है. हालांकि हम एक बार फिर बता दें- टीवी9 भारतवर्ष इस वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

वीडियो में क्या है?

इस वीडियो की शुरुआत में दिख रहा है कि किसान सड़क पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. काले झंडे लिए आगे बढ़ रहे हैं.लेकिन दो सेकंड बाद ही पीछे से हूटर बजाती तेज रफ्तार थार जीप आती है और प्रदर्शनकारी किसानों को जोरदार टक्कर मारती है. रौंदती चली जाती है. जिसकी आवाज़ साफ सुनाई देती है.

वीडियो को गौर से देखें तो महज़ तीन सेकंड में यहां पूरा सीन बदल जाता है.थार गुजरती है तो सड़क किनारे लोग लहूलुहान होकर गिरे पड़े दिखते हैं. थार गाड़ी के पीछे ही दनदनाती हुई काले रंग की फॉर्च्यूनर कार निकलती है और इसके पीछे सफेद रंग की स्कॉर्पियो.

महज़ 10 सेकंड में प्रदर्शनकारियों को कुचलती दती और धूल उड़ाती ये गाड़ियां यहां से निकलीं तो चीख पुकार मच गई. खूनी गाड़ियों का तांडव देखकर मौके पर मौजूद लोग कांप उठे. दहशत के मारे राहगीर भी सड़क छोड़कर भागने लगे. इस वीडियो में 17 सेकंड बाद मौके पर हलचल तेज दिखती है.पत्थर या लाठी डंडे बरसने जैसी आवाज सुनाई देती है.

वरुण गांधी ने किया ट्वीट

आपको बता दें कि लखीमपुर हिंसा के इस वीडियो को बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी ट्वीट किया और लिखा, वीडियो एकदम साफ है. विरोध करने वालों को हत्या करके चुप नहीं कराया जा सकता है. किसानों का खून बहाने वाले लोगों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

तो एक तरफ तर्क ये कि वीडियो ज्यादा साफ है. वहीं प्रशासन का दावा ये कि जांच कांच की तरह पारदर्शी है. लेकिन सवाल एक्शन ऑफ इन्वेस्टिगेशन पर उठ रहे हैं. क्योंकि रविवार को पुलिस ने घटना स्थल से फिजिकल एविडेंस नहीं जुटाए. सोमवार को भी पास में ही किसान शवों के साथ प्रदर्शन करते रहे. पूरे घटनास्थल पर लगातार आवाजाही बनी रही. जली हुई गाड़ियों की लोग तस्वीरें खींचते रहे. मंगलवार रात करीब साढ़े 11 बजे वारदात का जिस तरह रीक्रिएशन किया गया. वो भी संदेह और सवालों के घेरे में है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या पांच दिनों में यूपी पुलिस सवा कोस भी नहीं चल पाई है.

जानकार तो यहां तक बता रहे हैं कि हो सकता है कि लखीमपुर की पूरी जांच चश्मदीदों के बयान, आरोपियों और पीड़ितों से पूछताछ और सामने आ रहे तमाम वीडियो तक ही सिमट कर रह जाएगी..लेकिन इस नए वीडियो में जो बात साफ हो रही है कि तीन अक्टूबर को कातिल गाड़ियों ने बेलगाम रफ्तार से किसानों को रौंद डाला. हालांकि यहां ये कहना मुश्किल है कि इस वीडियो से पहले या फिर इसके बाद वहां क्या हुआ था? और ये जांच का विषय है.


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